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Friday, June 27, 2025

नेशनल हेराल्ड केस: सिब्बल का तीखा हमला, क्या है सरकार की मंशा?

नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2025, रविवार। नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताजा कार्रवाई ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। सिब्बल का कहना है कि ईडी का यह कदम कांग्रेस को कमजोर करने की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।

सिब्बल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने नेशनल हेराल्ड की 661 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा करने का नोटिस जारी कर कांग्रेस के दफ्तरों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में हुई इस कार्रवाई को उन्होंने लोकतंत्र पर हमला करार दिया। सिब्बल ने सवाल उठाया, “अगर नेशनल हेराल्ड से देश को कोई नुकसान हुआ, तो क्या किसी ने इसकी शिकायत दर्ज की? सिर्फ सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत पर 13 साल बाद यह जल्दबाजी क्यों?”

उन्होंने दावा किया कि सरकार ने इस मामले में सीबीआई की बजाय ईडी को चुना, क्योंकि सीबीआई को राज्य सरकारों से अनुमति लेनी पड़ती है। सिब्बल ने इसे एक सोची-समझी रणनीति बताते हुए कहा कि हेमंत सोरेन, सिद्धारमैया और चिदंबरम जैसे नेताओं के खिलाफ भी यही हथकंडा अपनाया गया। उनका कहना है कि सरकार का मकसद कांग्रेस को इस कदर पंगु करना है कि उसके पास काम करने की कोई जगह ही न बचे।

सिब्बल ने स्वामी की शिकायत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्वामी न तो नेशनल हेराल्ड के शेयरहोल्डर हैं और न ही उनकी शिकायत का कोई ठोस आधार है। 2012 में दर्ज इस शिकायत पर 2025 में अचानक कार्रवाई को उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताया। सिब्बल ने जोर देकर कहा कि देश में कानून का राज नहीं बचा। उनका तर्क है कि शेयरधारकों के पास संपत्ति का स्वामित्व नहीं होता, फिर भी ईडी ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियों को निशाना बनाया।

इस केस में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी आरोपी बनाया गया है, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया है। सिब्बल ने इसे कांग्रेस नेताओं को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाने की रणनीति का हिस्सा बताया। उनका कहना है कि सरकार पहले प्राथमिकी, फिर ईसीआईआर दर्ज करती है और तुरंत कार्रवाई शुरू कर देती है।

यह विवाद न केवल नेशनल हेराल्ड केस तक सीमित है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दबाने के लिए हो रहा है? सिब्बल का यह बयान निश्चित रूप से सियासी गलियारों में बहस को और गर्म करेगा।

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