नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025, बुधवार: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दाखिल करने के बाद कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ का गंभीर आरोप लगाया है। इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने आज, 16 अप्रैल 2025 को देशभर में धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है। प्रवर्तन निदेशालय के राज्य मुख्यालयों और जिला स्तर के केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज बुलंद करने को तैयार हैं। आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि यह विवाद क्यों छाया हुआ है।
नेशनल हेराल्ड केस: क्या है पूरा मामला?
नेशनल हेराल्ड अखबार, जिसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस की आवाज रहा। यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित होता था। इस मामले की शुरुआत 2012 में तब हुई, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) नामक कंपनी के जरिए एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया। स्वामी ने इसे धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताते हुए दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज की।
ईडी ने 2014 में इस मामले में जांच शुरू की और 2021 में इसे औपचारिक रूप दिया। जांच में दावा किया गया कि यंग इंडियन, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है, ने एजेएल की संपत्तियों को ‘गलत तरीके’ से अधिग्रहित किया। ईडी का कहना है कि इस प्रक्रिया में 988 करोड़ रुपये की ‘अपराध की आय’ उत्पन्न हुई, जिसमें 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये का अग्रिम किराया, और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापन शामिल हैं। हाल ही में, 11 अप्रैल 2025 को ईडी ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके बाद 15 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की गई।
कांग्रेस का गुस्सा: ‘यह राजनीतिक बदला है!’
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ और ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक जोरदार बयान में कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों की जब्ती और सोनिया गांधी, राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना मोदी सरकार की बदले की राजनीति का सबसे घिनौना रूप है। यह कानून की आड़ में राज्य प्रायोजित अपराध है, जिसका मकसद विपक्ष की आवाज को दबाना है।”
कांग्रेस का दावा है कि नेशनल हेराल्ड केस में कोई वित्तीय हेरफेर नहीं हुआ। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे ‘फर्जी मामला’ बताते हुए कहा, “यह एक ऐसा मनी लॉन्ड्रिंग केस है, जिसमें न तो कोई पैसा हस्तांतरित हुआ, न ही कोई संपत्ति ट्रांसफर हुई। यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जो नेशनल हेराल्ड के प्रबंधन के लिए बनाई गई थी।” पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ईडी जैसे केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है, खासकर तब जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं।
देशभर में प्रदर्शन: कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने इस मुद्दे को जनता तक ले जाने के लिए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। 16 अप्रैल को सभी राज्य कांग्रेस कमेटियों को निर्देश दिया गया है कि वे ईडी कार्यालयों और जिला स्तर के केंद्र सरकार के दफ्तरों के सामने धरना-प्रदर्शन करें। वेणुगोपाल ने अपने बयान में कहा, “ये प्रदर्शन हमारी एकजुटता और अत्याचार के खिलाफ सामूहिक संकल्प का प्रतीक होंगे। सभी वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक, और कार्यकर्ता इसमें हिस्सा लेंगे।”
सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस ने अपनी आवाज बुलंद की है। पार्टी की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “पिछले 12 साल से यह फर्जी केस चल रहा है। एक पैसे का लेन-देन नहीं हुआ, फिर भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप? यह मोदी और शाह की डरपोक राजनीति है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी डरने वाले नहीं हैं।” राजस्थान, पश्चिम बंगाल, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ता पहले ही सड़कों पर उतर चुके हैं, और आज के प्रदर्शन में भारी भीड़ की उम्मीद है।
बीजेपी का जवाब: ‘कानून अपना काम कर रहा है’
दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ईडी की कार्रवाई पूरी तरह कानूनी है। पार्टी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड केस में वित्तीय अनियमितताओं के पुख्ता सबूत हैं, और जांच एजेंसी स्वतंत्र रूप से काम कर रही है। बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर ‘विपक्ष की नौटंकी’ का आरोप लगाते हुए कहा कि गांधी परिवार कानून से ऊपर नहीं है।
क्या होगा आगे?
नेशनल हेराल्ड केस अब कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर गहमागहमी का केंद्र बन चुका है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को होगी, जहां चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर बहस होगी। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले को कोर्ट में पूरी ताकत से लड़ेगी। पार्टी के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी पहले ही इस केस को ‘कानूनी रूप से खोखला’ बता चुके हैं।
लोकतंत्र का इम्तिहान?
नेशनल हेराल्ड केस सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र और विपक्ष की आजादी पर हमला बता रही है, जबकि बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का हिस्सा मानती है। आज के प्रदर्शन इस बात का संकेत हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मामला वाकई में राजनीतिक प्रतिशोध है, या फिर कानून का शिकंजा? इसका जवाब आने वाले दिनों में कोर्ट और जनता की राय से ही मिलेगा।