चेन्नई, 28 जुलाई 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की साझेदारी में तैयार ‘निसार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट 30 जुलाई को अंतरिक्ष में अपनी उड़ान भरेगा। करीब 11,240 करोड़ रुपये (1.3 बिलियन डॉलर) की लागत वाला यह अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट भारत के जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट से श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा। इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि यह सैटेलाइट 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होगा और वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और भूस्खलन की निगरानी में क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा।
निसार की खासियतें
- संयुक्त परियोजना: नासा और इसरो की साझेदारी में निर्मित, नासा का योगदान 1.15 बिलियन डॉलर और इसरो का 800 करोड़ रुपये।
- दोहरी रडार प्रणाली: नासा का L-बैंड रडार मिट्टी और वनस्पति की गहराई तक स्कैन करेगा, जबकि इसरो का S-बैंड रडार सतह की बारीकियों का पता लगाएगा।
- विशाल एंटीना: 12 मीटर का जालीदार रिफ्लेक्टर एंटीना, जो स्कूल बस जितना बड़ा है।
- हर मौसम में कार्यक्षम: दिन-रात और बादलों-बारिश के बावजूद 24 घंटे डेटा संग्रह।
- वैश्विक स्कैनिंग: हर 12 दिन में पृथ्वी का पूरा डेटा प्रदान करेगा।
- वजन और निर्माण: 2,392 किलोग्राम वजनी इस सैटेलाइट को बनाने में 11 साल लगे।
क्यों है महत्वपूर्ण?
निसार भूस्खलन, भूकंप, बर्फ की चादरों की गति और जलवायु परिवर्तन जैसे पर्यावरणीय बदलावों की सटीक निगरानी करेगा। यह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और वैज्ञानिक अनुसंधान में गेम-चेंजर साबित होगा। यह भारत-अमेरिका के बढ़ते अंतरिक्ष सहयोग का भी प्रतीक है।
अन्य मिशनों की प्रगति
डॉ. नारायणन ने बताया कि सूर्य का अध्ययन करने वाला ‘आदित्य एल1’ मिशन डेटा संग्रह में सफल रहा है। मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें दिसंबर 2025 में एक मानवरहित मिशन और मार्च 2027 में मानवयुक्त मिशन लॉन्च होगा। चंद्रयान-4 चंद्रमा से नमूने लाने की योजना है, जबकि चंद्रयान-5 भारत-जापान का संयुक्त मिशन होगा। इसरो वर्तमान में 55 सैटेलाइटों का संचालन कर रहा है, जिन्हें अगले चार वर्षों में तीन हिस्सों में बांटा जाएगा।
वैश्विक योगदान
डॉ. नारायणन ने कहा, “निसार और अन्य मिशन भारत की अंतरिक्ष शक्ति को दर्शाते हैं। ये परियोजनाएं न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होंगी।” निसार का लॉन्च भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय जोड़ेगा।