वाराणसी, 5 नवंबर 2024, मंगलवार: काशी में तुलसीघाट पर हर साल नागनथैया लीला का आयोजन होता है, जिसमें कालिया नाग को आकार देने का काम माझियों और यदुवंशियों द्वारा किया जाता है। इस लीला में भगवान श्रीकृष्ण की कहानी को दर्शाया जाता है, जिसमें उन्होंने कालिया नाग को पराजित किया था।
इस साल भी नागनथैया लीला की तैयारियां शुरू हो गई हैं। संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र के मार्गदर्शन में माझियों और यदुवंशियों ने कालिया नाग को आकार देना शुरू कर दिया है। यह काम बहुत ही विशेष है और इसमें कई पीढ़ियों से जुड़े लोग भाग लेते हैं।
कालिया नाग को आकार देने के लिए वाटरप्रूफ कपड़े की खोल में भूसा भरा जाता है और फिर इसे हरे बांसों पर रस्सी का जाल बना कर बांधा जाता है। इससे नाग बहुत वजनी नहीं होता है और पानी में तैराने में आसानी होती है।
नागनथैया लीला के लिए वनकदंब की डाल का भी विशेष महत्व है। यह डाल संकटमोचन मंदिर परिसर से लाई जाती है और गंगा के जलस्तर को देखते हुए इसका स्थान तय किया जाता है।
इस लीला को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यह आयोजन बहुत ही भव्य और आकर्षक होता है। मान्यता है कि नागनथैया लीला में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उपस्थित होते हैं।