महाकुंभ नगर, 11 दिसंबर 2024, बुधवार। प्रयागराज, जो कि तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है, में कई पौराणिक मंदिर हैं जो अपने आप में एक विशेष महत्व रखते हैं। इनमें से एक है नागवासुकी मंदिर, जो कि अपनी पौराणिक कथाओं और महत्व के कारण प्रयागराज के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है।
नागवासुकी मंदिर की पौराणिक कथा
नागवासुकी मंदिर की पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तो भगवान विष्णु ने नागवासुकी को रस्सी के रूप में प्रयुक्त करने के लिए कहा था। नागवासुकी ने अपने फन से समुद्र को मथने में मदद की थी।
समुद्र मंथन के बाद, भगवान विष्णु ने नागवासुकी को प्रयागराज में विश्राम करने के लिए कहा था। नागवासुकी ने प्रयागराज में विश्राम किया और त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपने घावों से मुक्ति प्राप्त की।
नागवासुकी मंदिर का महत्व
नागवासुकी मंदिर का महत्व प्रयागराज के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक होने के कारण है। मंदिर में नागवासुकी की पूजा की जाती है, जो कि भगवान शिव के कण्ठहार हैं। मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
नागवासुकी मंदिर में पूजा करने के लिए विशेष दिन है नाग पंचमी, जो कि हर साल अगस्त-सितंबर में मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा की जाती है और नागवासुकी को चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित किया जाता है।
नागवासुकी मंदिर का जीर्णोद्धार
नागवासुकी मंदिर का जीर्णोद्धार कई बार किया गया है। मंदिर का सबसे पहले जीर्णोद्धार सांसद मुरली मनोहर जोशी ने कराया था। इसके बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
नागवासुकी मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ, मंदिर के आसपास के क्षेत्र का भी सौंदर्यीकरण किया गया है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कई पार्क और संग्रहालय बनाए गए हैं, जो कि प्रयागराज के पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं।