वाराणसी, 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार। भारत में जिहादियों द्वारा फैलाई जा रही नफरत के माहौल के बीच वाराणसी स्थित लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान द्वारा आयोजित दीपावली महोत्सव में सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं ने नफरती जिहादियों को करारा जवाब दिया। दीपावली पर गुरुवार को प्रतिवर्ष की भांति मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की विधिवत आरती उतारी, कहा कि श्रीराम हमारे पूर्वज हैं और हम धर्म बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं! उन्होंने भगवान श्रीराम के आगमन की खुशी में थाली में सजे सजावटी दीप, रोरी और अक्षत के साथ मिठाई बांटा। यह प्रेम और एकता का सुंदर प्रतीक है। भारत की संस्कृति में प्रभु श्रीराम का खास महत्व है, और उनके आगमन का इंतजार पूरे देश में किया जाता है। यह समय नफरत के बजाय प्रेम और एकता का संदेश फैलाने का है। मुस्लिम महिलाओं का यह कदम नफरत के खिलाफ एक मजबूत आवाज है और यह दर्शाता है कि भारत की संस्कृति में प्रेम और सहयोग की भावना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर, हमें यह याद रखना चाहिए कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता की भावना पर आधारित है। हमें नफरत के बजाय प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना चाहिए और भारत की संस्कृति की आत्मा को मजबूत करना चाहिए।
राम नाम का दीपक, दुनिया से नफरत के अंधकार को करेगा खत्म
यह एक अद्भुत और प्रेरणादायक दृश्य था जब मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई, भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और उर्दू में लिखी राम आरती का गायन करते हुए भगवान की आरती उतारी। यह एक सुंदर उदाहरण है कि कैसे विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ आ सकते हैं और प्रेम और एकता का संदेश फैला सकते हैं। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने श्रीराम स्तुति की, आरती में मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया और भेदभाव खत्म करने का संदेश दिया। महंत बालक दास जी महाराज का संदेश भेदभाव खत्म करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस खास मौके पर महंत बालकदास ने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि हम सभी एक ही मानवता के हिस्से हैं और हमें एक दूसरे के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना रखनी चाहिए। राम नाम का दीपक वास्तव में दुनिया से नफरत के अंधकार को खत्म कर सकता है। यह एक प्रतीक है कि प्रेम और एकता की शक्ति किसी भी तरह के अंधकार को दूर कर सकती है।
फिलिस्तीन, इजराइल समेत अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से श्रीराम भक्ति का प्रचार-प्रसार करने की अपील
मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान श्रीराम की आरती करना एक अद्भुत प्रयोग है जो हिंदू और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने में मदद कर रहा है। यह प्रयोग वर्ष 2006 से चल रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश देना है। मुस्लिम महिलाओं की सर्वोच्च नेता नाजनीन अंसारी ने फिलिस्तीन, इजराइल, लेबनान, सीरिया, यूक्रेन और रूस के राष्ट्राध्यक्षों को चिट्ठी लिखकर भगवान श्रीराम भक्ति का प्रचार-प्रसार करने की सलाह दी है, जिससे युद्ध खत्म होंगे और शांति आएगी। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो दुनिया भर में शांति और सौहार्द्र को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इस प्रयोग की सफलता इस बात से स्पष्ट है कि यह हिंदू और मुसलमानों को एक साथ लाने में मदद कर रहा है और उन्हें एक दूसरे के प्रति अधिक समझदार और सहानुभूतिपूर्ण बना रहा है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत में सांस्कृतिक एकता की स्थापना में मदद कर सकता है।
राम के आदर्शों को अपनाकर दुनिया में स्थापित होगी शांति
वाराणसी के सुभाष भवन में हो रही श्रीराम आरती युद्धरत देशों को यही संदेश दे रही थी कि अगर शांति, सौहार्द्र, प्रेम और सद्भावना आपस में और देशों में चाहिए तो राम का नाम अनिवार्य रूप से लें ताकि उनके देश के नागरिकों में प्रभु श्रीराम का चरित्र विकसित हो सके। महंत बालकदास ने कहा कि भगवान राम की विरासत और उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। वह न केवल एक दिव्य प्राणी के रूप में पूजे जाते हैं, बल्कि एक आदर्श शासक, समर्पित पुत्र, प्यारे पति और धार्मिकता के आदर्श के रूप में भी सराहे जाते हैं । उनका जीवन धर्म, करुणा और वीरता का प्रतीक है, और उनकी शिक्षाएँ समय और सीमाओं से परे हैं। भगवान राम के महान आदर्शों में से एक उनकी स्वीकार्यता और सहनशीलता है। उन्होंने सबको हृदय से लगाया और सबको स्वीकार किया, जो आज के समय में भी एक महत्वपूर्ण सबक है। उनकी कहानी हमें उन गुणों की एक शाश्वत याद दिलाती है जो व्यक्तिगत विकास, सामंजस्यपूर्ण जीवन और एक न्यायपूर्ण समाज की ओर ले जाते हैं। महंत बालक दास जी महाराज के शब्दों में कहें, तो भगवान राम के आदर्शों को अपनाकर हम शांति स्थापित कर सकते हैं और नैतिक बल पर मानवता की रक्षा कर सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें आज के समय में भी प्रेरित करता है।
भगवान राम ही पूरी दुनिया के पूर्वज
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि शांति स्थापना के लिये अनिवार्य शर्त भगवान श्रीराम के आदर्श और रामराज्य हैं। रामराज्य की परिकल्पना लोगों को भेदभाव से मुक्त कर सकती है और सबको गले से लगाकर स्वीकार कर सकती है। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को भगवान श्रीराम के रास्ते पर चलना चाहिए। यदि भारत का मुसलमान सबके बीच में प्रिय होना चाहता है तो अपने घरों में राम के चरित्र की शिक्षा दे। मजहब केवल अलग है लेकिन भारत का हर मुसलमान पूर्वजों, परम्पराओं और संस्कृति से एक ही है। भगवान राम ही पूरी दुनिया के पूर्वज हैं। उनके रास्ते पर चलकर ही दिलों में प्रेम और भावना विकसित होगी। अब रामभक्ति का प्रसार मुस्लिम देशों में हो और दुनिया को शांति के रास्ते पर जाने में मदद मिले।
देश को बचाने के लिये राम नाम का ही सहारा
हिन्दू मुस्लिम संवाद केंद्र की चेयरपर्सन डॉ. नजमा परवीन ने कहा कि नफरत को खत्म करने वाली संस्कृति सिर्फ भारत की संस्कृति है क्योंकि यहां की आत्मा में राम बसते हैं। जो देश या व्यक्ति राम से दूर होगा उसकी दुर्गति निश्चित है। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव ने कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के दिलों के बीच प्रेम और सद्भवना का रामसेतु बनाना होगा। प्रभु श्रीराम को लेकर दुनिया के लोग विचार कर रहे हैं। अपने परिवार और देश को बचाने के लिये राम नाम का ही सहारा है। प्रेम, शांति और रिश्तों को मजबूत करने के लिये बचपन से राम के चरित्र की शिक्षा दे ताकि बच्चे भी अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा को अपना कर्तव्य समझें। राम के सिवा दुनिया के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है।
ये रहे मौजूद
इस कार्यक्रम में डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, खुर्शीदा बानो, रौशनजहां, नूरजहां, हफिजुननिशा, अजीजुननिशा, सायना, नरगिस, रुकैया बीबी, जुलेखा बीबी, नगीना बेगम, सरोज, गीता, पूनम, उर्मिला, किसुना, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग शामिल रहीं।