संभल, उत्तर प्रदेश, 27 जून 2025: एक सनसनीखेज खुलासे ने संभल जिले को हिलाकर रख दिया है, जहां पोस्टमार्टम और मेडिकल रिपोर्ट्स को पैसे के दम पर बदला जा रहा था। इस गोरखधंधे का पर्दाफाश तब हुआ, जब एक ऑनर किलिंग के मामले में महज 50 हजार रुपये में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को बदलकर हत्या को आत्महत्या दिखाया गया। इस रैकेट में 32 डॉक्टरों की संलिप्तता की जांच चल रही है, जबकि पांच लोग पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं।
17 साल की लड़की की हत्या का सच दबाने की साजिश
मामला एक 17 वर्षीय लड़की की हत्या से जुड़ा है, जिसे परिवार ने ऑनर किलिंग के तहत मार डाला। इस जघन्य अपराध को छिपाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के फार्मासिस्ट मधुर आर्य ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर किया। रिपोर्ट में ‘गला घोंटने’ की जगह ‘फांसी’ लिखकर हत्या को आत्महत्या का रूप दे दिया गया। इसके बदले परिवार से 50 हजार रुपये की रिश्वत ली गई। इस खुलासे ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि लोगों का सिस्टम पर भरोसा भी डगमगा गया है।
पुलिस ने कसा शिकंजा, 5 गिरफ्तार
संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि सूचना मिलने पर त्वरित जांच शुरू की गई, जिसमें रैकेट का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने सरकारी फार्मासिस्ट, पोस्टमार्टम हाउस के वार्डबॉय (कंप्यूटर ऑपरेटर) सहित पांच आरोपियों को हिरासत में लिया है। आरोपियों की चैट हिस्ट्री और अन्य सबूतों की गहन जांच की जा रही है। एसपी ने कहा, “यह एक संगीन मामला है। जांच में और लोगों की संलिप्तता सामने आ रही है, जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।”
32 डॉक्टरों पर जांच की तलवार
इस रैकेट में 32 डॉक्टरों के शामिल होने की आशंका ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है। पुलिस और प्रशासन इस बात की तहकीकात कर रहे हैं कि यह खेल कितने समय से चल रहा था और कितने मामलों में सच्चाई को दबाया गया। लोगों का कहना है कि अगर पोस्टमार्टम जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में भी भ्रष्टाचार इस कदर हावी है, तो आम आदमी का भरोसा कहां बचेगा?
न्याय की उम्मीद टूटी
स्थानीय लोगों में इस खुलासे को लेकर गुस्सा और निराशा है। एक नागरिक ने कहा, “अगर 50 हजार में मर्डर को आत्महत्या दिखाया जा सकता है, तो फिर इंसाफ की उम्मीद किससे करें?” पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह मामला न केवल संभल, बल्कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। जांच के नतीजे क्या होंगे, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इस रैकेट ने सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है।