अयोध्या, 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार। रामनगरी में आगामी 30 अक्टूबर को होने वाले भव्य दीपोत्सव आयोजन की तैयारियां पूरी हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में अयोध्या में यह आठवां दीपोत्सव कार्यक्रम होगा। राम मंदिर बनने के बाद यह पहला आयोजन है। सरयू घाट पर 30 अक्टूबर को 28 लाख दीयों में तेल, बाती लगाकर देर शाम प्रज्ज्वलित करने के साथ एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया जाएगा। तो वहीं, दूसरी ओर अपने आप को अयोध्या का राजा बताने वाले इस भव्य आयोजन से दूरी बनाए हुए हैं। हम बात कर रहे हैं फैजाबाद के सपा सांसद अवधेश प्रसाद की। खुद को ‘अयोध्या का राजा’ बताकर अपनी भद पिटवाने वाले समाजवादी पार्टी से सांसद का हाल यह है कि जिस दीपोत्सव जैसे महा आयोजन की तारीफ वैश्विक स्तर पर हो रही हो, सांसद महोदय का उससे कोई लेना-देना नहीं है। एक तरफ योगी सरकार अयोध्या में अबतक का सबसे विराट और भव्य दीपोत्सव मनाने की तैयारी में दिन रात जुटी हुई है, वहीं सांसद अवधेश प्रसाद इस महाआयोजन से पूरी तरह से खुद को दूर रखा है। लिहाजा, राजा श्रीरामचंद्र जी की नगरी अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के खिलाफ आखिरकर संत समाज का गुस्सा फूट ही गया।
सांसद अवधेश प्रसाद की अकर्मण्यता और दीपोत्सव से विमुखता ने अयोध्या के संतों और आम जनमानस को आक्रोश से भर दिया है। संतों में गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि श्रीराम लला का भव्य मंदिर बनने और फिर अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से लेकर अबतक उन्होंने रामलला के दर्शन तक नहीं किए, जबकि महाराष्ट्र में उन्हें एक दरगाह में चादर चढ़ाने में बेहद सुकून मिलता है। उनकी ओर से दीपोत्सव को लेकर स्थानीय प्रशासन को भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।
महंत स्वामी करपात्री महराज ने सांसद अवधेश के प्रति अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि दीपोत्सव में उनके आने की आवश्यकता नहीं है, जो व्यक्ति खुद को ‘अयोध्या का राजा’ बताता हो, जो राम का विरोधी हो ऐसा व्यक्ति अगर दीपोत्सव में आ जाए तो ये अपशकुन ही होगा। पूरे भारत वर्ष के राजा केवल श्रीराम हैं और ये तो जनप्रतिनिधि हैं जो कि जनता के सेवक होते हैं। जिस पार्टी के लोगों ने हमारे कारसेवकों पर गोलियां चलवाई हों, सरयू नदी को खून से लाल कर दिया हो, ऐसी पार्टी के लोग दीपोत्सव में बिल्कुल न आएं। ऐसे पापियों का मुंह भी देखना हमारे लिए स्वाभिमान का विषय नहीं है।
वहीं रामेष्ट आश्रम, पट्टी सागरीया के देवेशाचार्य महराज ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है, चूंकि अयोध्या की जनता ने उन्हें सांसद बनाया है। मगर वो हमेशा से रामविरोधी रहे हैं। अबतक उन्होंने राम मंदिर में दर्शन भी नहीं किया है। किसी ने जब उन्हें एक कार्यक्रम में रामनाम का पट्टा भी पहनाया था तो उन्होंने इसका विरोध किया था। उनके इन आचरणों को देखकर संत समाज और अयोध्या की जनता काफी दु:खी है। आने वाले वक्त में उन्हें अपने किये की सजा जरूर मिलेगी।