22.1 C
Delhi
Friday, December 20, 2024

मोहन भागवत ने जताई चिंता: मंदिर-मस्जिद विवादों से समाज में विभाजन की अनुमति नहीं!

क्या मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कुछ राजनेताओं पर निशाना साधा?
नई दिल्ली, 20 दिसंबर 2024, शुक्रवार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं, जो कि उचित नहीं है। उन्होंने समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि भारत को दुनिया के सामने यह साबित करना होगा कि विविधता के बावजूद एक साथ सद्भावना से रहा जा सकता है। उन्होंने भारतीय समाज की बहुलता को रेखांकित करते हुए रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस के उत्सव का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत को सद्भावना का एक मॉडल बनाना चाहिए ताकि दुनिया को प्रेरणा मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि राम मंदिर का निर्माण सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था और ऐसे मुद्दों को बार-बार उठाकर समाज में विभाजन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मंदिर-मस्जिद विवाद पर मोहन भागवत की चेतावनी: कट्टरता के दिन खत्म हो चुके हैं!
मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांगें अदालत तक पहुंच रही हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की व्यवस्था अब संविधान के अनुसार चलती है, जहां जनता अपने प्रतिनिधि चुनकर सरकार बनाती है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिपत्य और कट्टरता के दिन खत्म हो चुके हैं। मोहन भागवत ने मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन का उदाहरण देते हुए बताया कि कट्टरता के कारण समाज को नुकसान पहुंचा, लेकिन बहादुर शाह जफर जैसे शासकों ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाकर सद्भावना को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज में सद्भावना और एकता को बढ़ावा देना चाहिए, न कि विभाजन और कट्टरता को। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।
मोहन भागवत का संदेश: भारत में सभी समान, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक का भेद नहीं!
मोहन भागवत ने इतिहास का संदर्भ देते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं को दिए जाने का निर्णय पहले ही लिया गया था, लेकिन अंग्रेजों ने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी। उन्होंने कहा कि इस अलगाववाद की भावना ने अंततः पाकिस्तान के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सभी खुद को भारतीय मानते हैं तो फिर “वर्चस्व की भाषा” का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत में सभी समान हैं और यहां अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक के भेद का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने भारतीय परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि यहां हर किसी को अपनी पूजा पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »