ढाका, 2 नवंबर 2024, शनिवार: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है, खासकर शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से। हिंदू समुदाय के घरों, व्यवसायों और पूजा स्थलों पर हमले हो रहे हैं। हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अनुसार, 4 अगस्त से 20 अगस्त के बीच हमलों और आगजनी की 1,976 घटनाएं हुईं और 69 पूजा स्थलों को तोड़ा गया। इस दौरान 9 लोगों की हत्या कर दी गई और 4 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। वहीं, शेख हसीना के बाद देश की बागडोर संभाल रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस उनकी रक्षा करने में असमर्थ होते जा रहे हैं। हमलों के अलावा हिंदुओं की नौकरी जबरन छीनी जा रही है। उनसे इस्तीफा लिया जा रहा है। इन तमाम परेशानियों का सामने कर रहे हिंदुओं ने सुरक्षा और उत्पीड़न रोकने की मांग को लेकर 30 हजार से ज्यादा की संख्या में सड़कों पर उतरे। उन्होंने हिंदू नेताओं के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को भी वापस लेने की मांग की।
सुरक्षा नहीं दे पा रही अंतरिम सरकार
अल्पसंख्यक समूह बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा कि अगस्त से हमले के 2000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दे पा रही है। हिंदू संगठनों का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष शेख हसीना सरकार के जाने के बाद देश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं। उनके खिलाफ हमले, उत्पीड़न के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। अगस्त की शुरुआत से अब तक हिंदुओं के खिलाफ ऐसे हजारों मामले सामने आए हैं। ये प्रदर्शन चटगाव में किया गया। उधर, अलग अलग शहरों में भी अल्पसंख्यकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शन किए।
सरकार के सामने 8 मांगें
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में हिंदू संगठनों ने आठ सूत्री मांगें रखी हैं। इन मांगों में ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण का गठन, अल्पसंख्यक सुरक्षा पर कानून लाना, अल्पसंख्यकों के लिए एक मंत्रालय की स्थापना करना, दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन का अवकाश देना’ आदि शामिल हैं। पुंडरीक धाम के अध्यक्ष और राजद्रोह के आरोपी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने बताया कि ये मांगें अवामी लीग और भारत सरकार के समर्थक के रूप में नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक अधिकारों को संरक्षित करने के लिए प्रशासन पर दबाव डालने के लिए हैं। हिंदू महासभा ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में ‘ग्वालियर बंद’ का आह्वान किया था। बता दें, हसीना सरकार जाने के बाद से ही पूरे बांग्लादेश में अलग-अलग शहरों में हिंदू संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
कट्टरपंथियों के निशाने पर अल्पसंख्यक
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद ही प्रदर्शनकारियों, कट्टरपंथियों ने हिंदू समुदाय को निशाना बनाया था। यहां दुकानों में आगजनी की गई, हिंदू युवतियों, महिलाओं पर अत्याचार हुआ। घरों पर हमला, प्रतिष्ठानों में आगजनी हुई सैकड़ों हिंदुओं की हत्या कर दी गई। अगस्त से ये सिलसिला जारी है।
जातीय पार्टी का फूंका मुख्यालय
बांग्लादेश ढाका में स्थित जातीय पार्टी के मुख्यालय में झड़पों के बाद आग लगा दी गई, जिससे कार्यालय क्षतिग्रस्त हो गया। जातीय पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा थी और दिवंगत राष्ट्रपति हुसैन मुहम्मद इरशाद द्वारा स्थापित की गई थी। इस हमले के पीछे की वजह जातीय पार्टी द्वारा शनिवार को ढाका में आयोजित की गई रैली का विरोध माना जा रहा है। हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने गुरुवार को एक रैली निकाली थी, जिसमें जातीय पार्टी के कार्यालय के सामने से मशाल लेकर गुजरे थे। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने पार्टी के कार्यालयों में तोड़फोड़ की, साइनबोर्ड उखाड़ फेंके और दीवार पर पार्टी के संस्थापक इरशाद की तस्वीर पर स्याही पोत दी।