नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025: वैश्विक कूटनीति में बड़े उलटफेर के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से रिश्तों के चलते 50% टैरिफ थोपे जाने के बाद भारत, चीन और रूस (RIC) ने मिलकर अमेरिका की एकतरफा नीतियों का जवाब देने की रणनीति बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन के तिआनजिन जाएंगे, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में भारत का दौरा करेंगे।
भारत-चीन में नई गर्मजोशी
2020 के सीमा विवाद के बाद पहली बार पीएम मोदी चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 साल बाद चीन का दौरा किया था और चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की थी। वहीं, 18 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत आएंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा विवाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
भारत-रूस संबंध और मजबूत
रूस के साथ भारत के रिश्ते पहले से कहीं अधिक प्रगाढ़ हो रहे हैं। जुलाई 2024 में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में पुतिन और मोदी की मुलाकात के बाद अब पुतिन फिर से भारत आने वाले हैं। अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी है। दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 65.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल से 33% अधिक है। रक्षा क्षेत्र में भी S-400, T-90 टैंक, Su-30MKI, ब्रह्मोस मिसाइल और AK-203 राइफल्स के निर्माण में सहयोग बढ़ रहा है।
RIC का पुनर्जनन, अमेरिका को चुनौती
1990 के दशक में शुरू हुआ रूस-भारत-चीन (RIC) समूह अब फिर से सक्रिय होने की कगार पर है। चीनी प्रोफेसर शी चाओ ने कहा, “तीनों देश बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था चाहते हैं और अमेरिका की नीतियों का संयुक्त जवाब दे सकते हैं।” रूसी विशेषज्ञ टिमोफेई बोर्डाचेव के मुताबिक, RIC वैश्विक स्थिरता में योगदान दे सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा कि RIC का पुनर्जनन वैश्विक दक्षिण के लिए G7 और BRICS का विकल्प बन सकता है।
सावधानी की सलाह
हालांकि, विशेषज्ञों ने भारत को सतर्क रहने की सलाह दी है। इकोनॉमिक टाइम्स की इंद्राणी बागची के अनुसार, भारत ने अमेरिका और पश्चिम के साथ मजबूत रिश्ते बनाए हैं, जो चीन और रूस को पसंद नहीं। भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और कूटनीतिक संतुलन को और मजबूत करने की जरूरत है। वैश्विक मंच पर RIC की यह नई पहल क्या रंग लाएगी, यह आने वाले महीनों में साफ होगा।