नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2025, बुधवार। पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, ने भारत को एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने पाकिस्तान के प्रति अभूतपूर्व कूटनीतिक और रणनीतिक फैसले लिए, जो भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाते हैं। इन फैसलों ने न केवल पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया, बल्कि भारत-पाक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की।
पांच बड़े फैसले
48 घंटे में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश: सभी पाकिस्तानी नागरिकों को तत्काल भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द: भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के सभी वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए, जिससे सीमा पार आवागमन पर पूर्ण रोक लग गई।
सिंधु जल समझौता खत्म: 1960 में हुआ यह ऐतिहासिक समझौता, जो भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को नियंत्रित करता था, तब तक निलंबित कर दिया गया है, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को पूरी तरह बंद नहीं करता।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: दोनों देशों के बीच प्रतीकात्मक महत्व रखने वाली यह सीमा तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गई। वैध वीजा धारकों को 1 मई 2025 तक वापसी की अनुमति है।
पाकिस्तानी उच्चायोग पर अंकुश: भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर एक सप्ताह में देश छोड़ने का आदेश दिया। उच्चायोग का आकार 55 से घटाकर 30 करने का फैसला भी लिया गया।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की हुंकार
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है। विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने स्पष्ट किया कि ये कदम पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब की यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली में CCS की बैठक बुलाई, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहुंचकर पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की।
वैश्विक समर्थन और भविष्य
भारत के इन कदमों को अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक शक्तियों ने समर्थन दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु जल समझौते का निलंबन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर गहरा प्रभाव डालेगा, क्योंकि वह अपनी जल आवश्यकताओं के लिए इन नदियों पर निर्भर है। यह कदम भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है और आतंकवाद के प्रति उसकी असहिष्णुता को रेखांकित करता है।
मोदी सरकार के इन ऐतिहासिक फैसलों ने साफ कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाइयों के जरिए जवाब देगा। यह नया भारत है, जो अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।