N/A
Total Visitor
30.3 C
Delhi
Saturday, April 19, 2025

टैरिफ वॉर में मोदी सरकार की चाल: संयम के साथ समझौते की राह

नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025, मंगलवार। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में 27% आयात शुल्क की घोषणा ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है, लेकिन भारत की नरेंद्र मोदी सरकार इस टैरिफ तूफान में भी संयम और सूझबूझ का रास्ता अपनाती दिख रही है। जहां चीन ने 34% जवाबी टैरिफ लगाकर, और यूरोपीय आयोग ने अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क की तैयारी करके आक्रामक रुख दिखाया, वहीं भारत ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया देने से परहेज किया है। इसके पीछे की वजह? दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत और एक रणनीतिक चुप्पी, जो भारत को इस वैश्विक टैरिफ जंग में अलग राह पर ले जा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ट्रंप के टैरिफ ऑर्डर के उस प्रावधान पर गहरी नजर रखे हुए है, जिसमें कहा गया है कि जो देश व्यापार को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे, उन्हें राहत मिल सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत इस मौके को भुनाने की तैयारी में है। नई दिल्ली को भरोसा है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की मेज पर सबसे पहले पहुंचने वाले देशों में से एक है। यह स्थिति भारत को चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे पड़ोसियों से अलग और मजबूत बनाती है, जो ट्रंप के टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं।

जब से ट्रंप ने यह टैरिफ बम फोड़ा, वैश्विक बाजारों में कोहराम मचा हुआ है। अमेरिका से लेकर एशिया तक शेयर बाजार धड़ाम हुए हैं। ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देश जवाबी शुल्क की राह पर चल पड़े, लेकिन भारत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, मोदी सरकार एक बड़े खेल की तैयारी में है। फरवरी 2025 में भारत और अमेरिका ने सितंबर-अक्टूबर तक एक प्रारंभिक व्यापार समझौते पर सहमति जताई थी। इस डील का मकसद दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद को सुलझाना है। सूत्रों की मानें तो भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क घटाने को तैयार है। इसके लिए हाई-एंड बाइक्स, बॉर्बन व्हिस्की जैसी चीजों पर टैरिफ कम करना और अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित करने वाले डिजिटल टैक्स में राहत देना जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

लेकिन सवाल यह है कि भारत इतना धैर्य क्यों दिखा रहा है? जवाब छिपा है देश की आर्थिक प्राथमिकताओं में। ट्रंप का टैरिफ भारत की आर्थिक रफ्तार को मौजूदा वित्त वर्ष में धीमा कर सकता है, और इसका सबसे बड़ा झटका हीरा उद्योग को लगेगा। भारत के हीरे का एक-तिहाई से ज्यादा निर्यात अमेरिका जाता है। अगर यह रास्ता बंद हुआ तो सूरत और मुंबई जैसे शहरों में हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। ऐसे में मोदी सरकार जल्दबाजी में जवाबी कार्रवाई करने के बजाय ट्रंप के साथ बेहतर रिश्तों की डोर मजबूत करने में जुटी है।

यह रणनीति भारत को टैरिफ वॉर के इस तूफान से सुरक्षित निकाल सकती है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह संयम लंबे वक्त तक कायम रह पाएगा? फिलहाल, भारत की नजर उस बड़े व्यापारिक समझौते पर टिकी है, जो न सिर्फ टैरिफ की टेंशन खत्म करे, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक दोस्ती को नई ऊंचाई दे।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »