नई दिल्ली, 30 जून 2025: भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द कर कांग्रेस के दशकों पुराने अन्याय को उजागर किया है। अब केंद्र की मोदी सरकार इस फैसले के फायदों को जनता तक पहुंचाने के लिए देशव्यापी आउटरीच अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान में जनता को बताया जाएगा कि कैसे कांग्रेस ने 1960 में इस समझौते के जरिए भारत के किसानों और जल संसाधनों के साथ विश्वासघात किया, जिसके तहत भारत का पानी और संसाधन पाकिस्तान को सौंप दिए गए।
किसानों के साथ कांग्रेस का ‘पाप’
सिंधु जल संधि को लेकर सरकार का रुख साफ है: यह समझौता भारत के हितों के खिलाफ था। कांग्रेस सरकार ने 1960 में इस संधि को मंजूरी देकर उत्तर भारत के किसानों को पानी से वंचित कर दिया और देश के संसाधनों को पड़ोसी मुल्क के हवाले कर दिया। अब मोदी सरकार इस ऐतिहासिक भूल को सुधारते हुए जनता को यह समझाने जा रही है कि संधि रद्द होने से न केवल किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा, बल्कि बिजली उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
उत्तर भारत में बजेगा जागरूकता का डंका
इस आउटरीच कार्यक्रम की शुरुआत जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से होगी, जहां नदियों के पानी का बेहतर उपयोग संभव है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को इस अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये मंत्री सरल भाषा में जनता को बताएंगे कि कैसे कांग्रेस की नीतियों ने भारत को नुकसान पहुंचाया और अब मोदी सरकार इस अन्याय को खत्म कर रही है।
बुकलेट से खुलेगा सच
जनता तक संदेश को और प्रभावी बनाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी समेत कई भाषाओं में बुकलेट तैयार किए जा रहे हैं। इन बुकलेट्स में साफ तौर पर बताया जाएगा कि संधि रद्द होने से किसानों के खेतों में पानी की कमी खत्म होगी और अधिशेष पानी से बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, यह भी उजागर किया जाएगा कि कैसे कांग्रेस ने अपने शासनकाल में भारत के जल संसाधनों को पाकिस्तान के हवाले कर किसानों के साथ छल किया।
160 किमी नहर: भारत की नई ताकत
संधि रद्द होने के बाद भारत ने सिंधु नदी के पानी को अपने लिए बेहतर ढंग से उपयोग करने की ठोस योजना बनाई है। इसके तहत 160 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जो चेनाब को रावी, व्यास और सतलुज नदी तंत्र से जोड़ेगी। इस परियोजना से जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान के श्रीगंगानगर तक पानी पहुंचेगा। सरकार ने मौजूदा 13 नहरों को जोड़कर तीन साल में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। यह कदम न केवल जल उपलब्धता बढ़ाएगा, बल्कि भारत को अपने अधिशेष पानी का उपयोग करने में भी सक्षम बनाएगा।
जनता की आवाज: कांग्रेस ने किया अन्याय
मोदी सरकार का मकसद है कि जनता स्वयं यह कहे कि सिंधु जल संधि भारत के लिए अन्यायपूर्ण थी। इस अभियान के जरिए न केवल कांग्रेस की गलत नीतियों का पर्दाफाश होगा, बल्कि किसानों और आम जनता को उनके हक का पानी और संसाधन सुनिश्चित किया जाएगा। यह कदम भारत के आत्मनिर्भर और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जो कांग्रेस के ‘पाप’ को धोने का वादा करता है।