मिर्जापुर: ग्राम प्रधान के नाम पर भ्रष्टाचार की खुली लूट, मनिगढ़ा में विकास योजनाएं कागजों तक सीमित

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मिर्जापुर, 8 सितंबर 2025: हलिया विकास खंड के मनिगढ़ा गांव में भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पिछड़ी जाति की महिला ग्राम प्रधान को मात्र मुखौटा बनाकर रखा गया है और ‘प्रधानी’ का सुख कोई और भोग रहा है। ग्राम पंचायत में विकास योजनाओं के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये की बंदरबांट का आरोप है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी और जांच की कमी ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

मनिगढ़ा गांव, जो मध्य प्रदेश की सीमा से सटा जंगल-पहाड़ी क्षेत्र में बसा है, मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क, पानी, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि ग्राम प्रधान के घर तक जाने के लिए पक्का रास्ता तक नहीं है, और गांव में उनकी पहचान तक नहीं है। ग्रामीणों की जुबान पर किसी और का नाम चलता है, जो पंचायत के कार्यों को नियंत्रित करता है।

कागजों पर विकास, जमीनी हकीकत शून्य

वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक की सरकारी योजनाओं की जानकारी में खुलासा हुआ है कि कई योजनाएं केवल कागजों पर संचालित दिखाई गई हैं। ग्रामीण बबलू कोल ने बताया, “पिछले साल पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन कुछ दिनों तक पानी आने के बाद अब वह बंद है।” वहीं, अवध पांडे ने कहा, “यह गांव गुलाम बना हुआ है। विकास के नाम पर लूट मची है, और ग्राम प्रधान को कठपुतली बनाकर रखा गया है।” ग्रामीण अब्दुल समद ने आरोप लगाया कि मंदिर, मस्जिद, कुआं, और तालाब तक के नाम पर लाखों रुपये डकार लिए गए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।

शिकायतों को दबाने की साजिश

ग्रामीणों का आरोप है कि भ्रष्टाचार की शिकायतों को दबाने और ध्यान भटकाने के लिए हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करने की कोशिश की गई। फर्जी लाभार्थियों के नाम पर सरकारी धन की लूट का भी खुलासा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि शिकायतकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाने की साजिश भी रची गई।

जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

इस मामले पर जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार ने कहा, “विकास योजनाओं में सरकारी धन की बंदरबांट की जांच कराई जाएगी। शासन की मंशा के विपरीत कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

ग्रामीणों में आक्रोश, सरकार से जवाब की मांग

मनिगढ़ा के ग्रामीणों ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर भ्रष्टाचार के इस खेल को रोकने के लिए कब तक इंतजार करना होगा? गांव में विकास की जगह लूट और भ्रष्टाचार की कहानियां सुर्खियों में हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। ग्रामीण अब ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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