आगरा, 15 जुलाई 2025: ताजमहल की नगरी आगरा न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ का प्राचीन राजेश्वर महादेव मंदिर भी भक्तों के बीच आस्था और रहस्य का अनूठा संगम है। शमसाबाद रोड पर स्थित यह 800 साल पुराना मंदिर सावन के पावन महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ से गूंज उठता है। यहाँ स्थापित शिवलिंग की खासियत है कि यह दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है, जो इसे एक चमत्कारी और आध्यात्मिक केंद्र बनाता है।
नर्मदा से आया स्वयंभू शिवलिंग
मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सत्य प्रकाश रावत बताते हैं कि राजेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। कई सदी पहले राजा खेड़ा के एक सेठ ने नर्मदा नदी से बैलगाड़ी पर शिवलिंग लाकर मंदिर में स्थापित करने का संकल्प लिया। रास्ते में रात होने पर सेठ ने विश्राम के लिए शिवलिंग को यहीं रख दिया। उसी रात भगवान शिव ने सपने में सेठ को दर्शन दिए और कहा, “मुझे यहीं स्थापित करो।” सेठ ने शिवलिंग को आगे ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। अंततः शिवलिंग स्वयं जमीन पर स्थापित हो गया। इसके बाद सेठ ने यहीं भव्य मंदिर का निर्माण कराया, जो आज राजेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है।
दिन में तीन रंग, अनूठा चमत्कार
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहाँ का शिवलिंग, जो दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह मंगला आरती के समय शिवलिंग श्वेत रंग में चमकता है, मानो दूध की धारा सा पवित्र। दोपहर की आरती में यह हल्का नीला हो जाता है, जिसमें भगवान नीलकंठ की तीन अंगुलियों का आभास होता है। वहीं, शाम की आरती में शिवलिंग हल्का गुलाबी रंग धारण कर लेता है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह चमत्कार देखने के लिए सावन में यहाँ हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
आस्था का केंद्र, मुरादों का मंदिर
मान्यता है कि राजेश्वर महादेव का यह स्वयंभू शिवलिंग हर भक्त की मनोकामना पूरी करता है। सावन के पहले सोमवार को यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए आते हैं। मंदिर की रहस्यमयी शक्ति और चमत्कारी शिवलिंग की कथाएँ इसे आगरा के धार्मिक स्थलों में खास बनाती हैं।
तो अगर आप भी इस चमत्कार के साक्षी बनना चाहते हैं, तो सावन में राजेश्वर महादेव मंदिर जरूर आएँ, जहाँ भक्ति और रहस्य एक साथ जीवंत हो उठते हैं।