प्रयागराज, 20 जनवरी 2025, सोमवार। महाकुंभ में संगम और अखाड़ा क्षेत्रों के बीच ढाई हजार साल पुरानी फारसी तकनीक से प्रेरित पीपे के पुल महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। इन पुलों के निर्माण के लिए जरूरी पीपे बनाने के लिए 1,000 से अधिक लोगों ने एक वर्ष से अधिक समय तक प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे काम किया।
महाकुंभ नगर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि ये पुल संगम और अखाड़ा क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये पुल महाकुंभ का अभिन्न अंग हैं, जो विशाल भीड़ की आवाजाही के लिए जरूरी हैं।
इन पुलों के निर्माण में 2,200 से अधिक काले तैरते लोहे के कैप्सूलनुमा पीपों का इस्तेमाल किया गया है। प्रत्येक पीपे का वजन पांच टन है और यह इतना ही भार सह सकता है। पीपे के पुल पहली बार 480 ईसा पूर्व में तब बनाए गए थे जब फारसी राजा ज़ेरेक्सेस प्रथम ने यूनान पर आक्रमण किया था।