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Friday, March 14, 2025

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए नई ड्रोन नीति 2021 की घोषणा की

आज कल सीमा की सुरक्षा से लेकर मौसम विज्ञान, आपदा प्रबंधन, सर्वेक्षण, खेती-किसानी से लेकर, सामान डिलीवरी और फोटोग्राफी तक में ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। आने वाले समय में ड्रोन की उपयोगिता को देखते हुए केंद्र सरकार ने नई ड्रोन नीति का एलान किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ड्रोन संबंधी नए नियमों से भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन संबंधी नए नियमों से स्टार्ट-अप्स के साथ-साथ इस सेक्टर में काम करने वाले हमारे युवाओं को भी काफी मदद मिलेगी।

नई नीति की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे – कृषि, खनन, आधारभूत संरचना, निगरानी, आपातकालीन परिस्थितियों, परिवहन, मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी को ड्रोन से जबरदस्त लाभ मिल रहा है और आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल और बढ़ना है।

कई देश की सेना ने अपनी सीमा सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग में इसके बढ़ते इस्तेमाल और विशाल घरेलू मांग को देखते हुए यह माना जा रहा है कि  भारत 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बन सकता है। ड्रोन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की स्थापना करने की भी तैयारी कर रही है।

ड्रोन है क्या
आमतौर पर मानव रहित बहुत छोटे वायुयान (यूएएस) को ड्रोन कहा जाता है। यह एक ऐसा उपकरण है जो एक रोबोट की तरह काम करता है। जिसका नियंत्रण इंसान के हाथों में रहता है। आकार छोटी होने की वजह से सैनिक गतिविधियों में इनका इस्तेमाल आजकल अधिक होने लगा है।

क्या है नई ड्रोन नीति
नई ड्रोन नीति के मुताबिक सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण होगा। अब पंजीकरण,लाइसेंस के लिए सुरक्षा मंजूरी लेने और ड्रोन के रखरखाव का प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

कार्गो डिलिवरी के लिए कॉरीडोर बनाए जांएगे। डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण आवश्यकताओं को देखेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस जारी करेगा। ड्रोन उड़ाने के लिए प्रशिक्षण और परीक्षा ड्रोन स्कूलों में होगी। रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क का शुल्क तीन हजार रुपये (बड़े ड्रोन के लिए) से कम करके सभी श्रेणियों के लिए 100 रुपये कर दी गई है और यह 10 साल के लिए वैध है।

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल-विंडो सिस्टम को विकसित किया जाएगा। जिसमें कम से कम मानव दखल होगा। नए नियमों के तहत ड्रोन का अधिकतम वजन 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है।  इससे ड्रोन टैक्सियों को भी ड्रोन नियमों के दायरे में लाना आसान होगा।

वैसे सरकार ने जुलाई ही में  ड्रोन नियम 2021 की घोषणा की थी। यह नियम अब 12 मार्च को जारी मानव रहित विमान प्रणाली नियम 2021 की जगह लेगा। दरअसल यह नियम अकादमिक, स्टार्टअप्स, उपयोगकर्ता और अन्य हितधारकों ने बहुत प्रतिबंध करने वाला लगा था, क्योंकि इसमें काफी कागजी कार्रवाई की जरूरत थी और हर ड्रोन उड़ाने के लिए आवश्यक अनुमति चाहिए थी। इस नियम में एक बड़ी बाधा यह थी ड्रोन उडाने के लिए बहुत कम “फ्री टू फ्लाई” ग्रीन जोन उपलब्ध थे।

ड्रोन का इस्तेमाल कब शुरू हुआ
कहा जाता है 1849 में ऑस्ट्रिया ने एक ऐसा बम फेंकने वाला गुब्बारे जैसा उपकरण बनाया था जो मानव रहित था। तब से इसे ही ड्रोन बनाने की प्रेरणा माना जाता है।    इसके बाद 1915 में महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने एक लड़ाकू विमान बनाया जो मानव रहित था। कुछ लोग इसे आधुनिक ड्रोन का आधार मानते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने बड़े स्तर पर ड्रोन का इस्तेमाल किया था। इसे बनाने में मैरीलिन मोनरोए वैज्ञानिक का  बड़ा योगदान माना जाता है।

कहां ड्रोन उड़ाने के लिए लेनी होगी मंजूरी?
लाल या पीले जोन में ड्रोन चलाने के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी। किसी भी व्यक्ति को बिना पूर्व अनुमति के ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, ड्रोन ऑपरेशन शुरू करने से पहले, ड्रोन पायलट को ऑपरेशन के इच्छित क्षेत्र में ड्रोन संचालन के लिए लागू किसी भी अधिसूचना या प्रतिबंध के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को अनिवार्य रूप से सत्यापित करना होगा।

भारत के तीन हवाई क्षेत्र कौन से हैं?

ग्रीन जोन: ग्रीन जोन का अर्थ है सुरक्षित एयरस्पेस। यह जमीन से 400 फीट (120 मीटर) की दूरी तक का हवाई क्षेत्र जिसे ड्रोन संचालन के लिए हवाई क्षेत्र के नक्शे में लाल या पीले क्षेत्र के रूप में निर्धारित नहीं किया गया है। नए नियम के तहत अब ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है।

यलो जोन: येलो ज़ोन का अर्थ है जिसमें दायरे तय होते हैं। भारत की भूमि वाले क्षेत्रों या क्षेत्र के जल के ऊपर नियंत्रित हवाई क्षेत्र जिसके भीतर ड्रोन संचालन प्रतिबंधित है और इसके लिए संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण से अनुमति की आवश्यकता होती है। नए नियम में हवाई अड्डे की परिधि से पीले जोन को 45 किमी से घटाकर 12 किमी किया गया है।

रेड जोन: यह वह जोन है जहां सिर्फ विशेष परिस्थितियों के तहत काम करने की अनुमति होती है। भारत के किसी भी भूमि क्षेत्रों या क्षेत्रीय जल के ऊपर अधिसूचित बंदरगाह सीमा जिसके भीतर ड्रोन संचालन की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है।

नए ड्रोन नियमों के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर ग्रीन, यलो और रेड क्षेत्रों के साथ ड्रोन उडाने वाले हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।

 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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