नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में साफ तौर पर कहा कि भारत-पाकिस्तान मुद्दों पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर भी जोर देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया जारी है, लेकिन भारत अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
जयशंकर ने कहा, “हमारी कुछ लाल रेखाएं हैं, खासकर हमारे किसानों और छोटे उत्पादकों के हित। इस मामले में हम दृढ़ हैं और कोई समझौता नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि व्यापार वार्ता में कोई रुकावट नहीं है और दोनों पक्ष आपसी संवाद में बने हुए हैं।
‘रिफाइंड तेल न खरीदना हो तो न खरीदें’
विदेश मंत्री ने अमेरिका और यूरोप के कुछ आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि भारत से रिफाइंड तेल या अन्य उत्पाद खरीदने में किसी को आपत्ति है, तो वह खरीदारी न करे। उन्होंने कहा, “कोई आपको मजबूर नहीं कर रहा। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है। अगर आपको पसंद नहीं, तो न खरीदें।” यह बयान व्यापार समर्थक नीतियों की आड़ में भारत पर लगाए जा रहे आरोपों के जवाब में आया।
रूस के साथ संबंधों में प्रगति
रूस के साथ भारत के संबंधों पर बात करते हुए जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर वार्ता की परंपरा कायम है। इस साल के अंत में एक और शिखर वार्ता की योजना है। उन्होंने कहा, “हमारे संबंधों में प्रगति हो रही है। व्यापार में वृद्धि हुई है और हम इसे और बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही, लोगों की आवाजाही और रूस में बाजारों तक पहुंच बढ़ाने पर जोर है।”
जयशंकर के बयानों से भारत की विदेश नीति की दृढ़ता और रणनीतिक प्राथमिकताएं स्पष्ट होती हैं, जहां राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं।