बेंगलुरु, 11 सितंबर 2025: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास तभी मजबूत होगा, जब संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस को बढ़ावा दिया जाएगा। वे गुरुवार को बेंगलुरु के विधान सौध में आयोजित 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय “विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा – जन विश्वास का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम” है।
श्री बिरला ने संविधान सभा की स्वस्थ बहस की परंपरा को पुनर्जनन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे जीवंत और समावेशी संविधान है, जिसकी नींव गहन चर्चाओं और विविध विचारों पर आधारित है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सदन में गरिमा और मर्यादा बनाए रखें, क्योंकि हंगामे और गतिरोध से लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है। “सभी दलों को आत्ममंथन करना चाहिए कि बहस और संवाद से ही समाधान निकलते हैं,” उन्होंने जोर देकर कहा।
लोक सभा अध्यक्ष ने विधानमंडलों में सत्रों की घटती संख्या और सीमित चर्चा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “जनता हमसे शोर नहीं, समाधान चाहती है। रचनात्मक बहस से बेहतर कानून बनेंगे, जिससे शासन सशक्त होगा और जनता का विश्वास बढ़ेगा।” उन्होंने तकनीकी नवाचारों जैसे डिजिटल संसद ऐप, NeVA, और संसद-भाषिणी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिनके जरिए संसद की कार्यवाही अब 22 भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे लोकतंत्र अधिक समावेशी बन रहा है।
इस अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धरामैय्या, उपमुख्यमंत्री श्री डी. के. शिवकुमार, राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश, और कर्नाटक विधान सभा व परिषद के अध्यक्षों ने भी सभा को संबोधित किया। सीपीए कर्नाटक शाखा के सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) लगभग 180 संसदों और विधानमंडलों का अंतरराष्ट्रीय मंच है। भारत इसका 9वां क्षेत्र है, जिसमें देश के सभी 31 राज्य और संघ राज्य क्षेत्र शामिल हैं। श्री बिरला सीपीए भारत क्षेत्र की कार्यकारी समिति के पदेन अध्यक्ष हैं।
सम्मेलन का महत्व: यह सम्मेलन विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने और लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी।