वाराणसी, 12 सितंबर 2025: मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने गुरुवार शाम को काशी के दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पावन आरती में डुबकी लगाई, तो उनकी आंखें नम हो उठीं। तीन दिवसीय दौरे के दौरान पत्नी वीना रामगुलाम के साथ शामिल हुए डॉ. रामगुलाम ने न सिर्फ आरती का आध्यात्मिक रस पिया, बल्कि सनातन परंपराओं के पंचमहाभूतों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के गहन रहस्यों को भी छुआ।
बाढ़ प्रभावित गंगा के किनारे घाट की छत पर आयोजित इस भव्य महाआरती को देखने के लिए डॉ. रामगुलाम ‘विवेकानंद’ नामक लक्जरी क्रूज की छत पर विशेष कुर्सियों पर विराजमान हुए। शाम करीब 6:47 बजे शुरू हुई यह 40 मिनट लंबी आरती सात अनुभवी अर्चकों ने मंत्रोच्चार, शंखनाद और डमरू की ध्वनि के बीच पारंपरिक विधि से संपन्न की। फूलों के वंदनवार और दीपों की चमक से सजा घाट अलौकिक प्रकाश से जगमगा उठा। डॉ. रामगुलाम हाथ जोड़कर श्रद्धा से मां गंगा की आराधना में लीन नजर आए, तो कई बार मंत्रमुग्ध होकर आरती की लहरों में खोते दिखे। उन्होंने सपत्नीक आरती भी की और माथे पर चंदन टीका लगवाया।
रविदास घाट से क्रूज पर सवार होकर दशाश्वमेध पहुंचे डॉ. रामगुलाम ने रास्ते भर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के साथ गंगा तट के प्राचीन भवनों, घाटों और प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार किया। रविदास घाट पर उतरते ही मंत्री खन्ना ने पारंपरिक अंगवस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया, जबकि गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने काशी की मशहूर लाल पेड़ा और दुपट्टे से अभिनंदन किया। क्रूज पर चढ़ने से पहले डॉ. रामगुलाम ने श्रद्धा से मां गंगा को प्रणाम किया।
इस आध्यात्मिक आयोजन में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और अन्य गणमान्य व्यक्ति उनके साथ रहे। गंगा सेवा निधि द्वारा विशेष सजावट के बीच संपन्न आरती के बाद डॉ. रामगुलाम नमो घाट से सड़क मार्ग द्वारा नदेसर के ताज होटल लौटे, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से उनके सम्मान में भव्य रात्रिभोज का आयोजन हुआ। कड़े सुरक्षा घेरे में चले इस कार्यक्रम ने काशी को वैश्विक पटल पर फिर से चमकाया।
शुक्रवार दौरे के अंतिम दिन डॉ. रामगुलाम काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे, उसके बाद अयोध्या रवाना होंगे। गंगा सेवा निधि के अनुसार, इससे पहले 2019 और 2023 में मॉरीशस के तत्कालीन पीएम प्रवीण जगन्नाथ तथा 2020 में राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह ने भी इसी घाट पर गंगा आरती का सौभाग्य प्राप्त किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में यह स्वागत न केवल सांस्कृतिक पुल का प्रतीक बना, बल्कि भारत-मॉरीशस संबंधों को और मजबूत करने का संदेश भी दे गया।