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Sunday, July 20, 2025

निमिषा प्रिया की फाँसी टलने में मौलाना का कोई योगदान नहीं: विदेश मंत्रालय ने खारिज किए दावे, वामपंथी मीडिया का प्रोपेगेंडा बेनकाब

सना, यमन/नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025: यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फाँसी की सजा टलने के मामले में वामपंथी और इस्लामी मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे दावों की पोल खुल गई है। कुछ मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया हैंडल्स ने मौलाना कंथापुरम एपी अबूबक्र मुसलियार को निमिषा की फाँसी टालने का श्रेय देने की कोशिश की, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि इस मामले में मौलाना की कोई भूमिका नहीं है।

विदेश मंत्रालय का स्पष्ट बयान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, “निमिषा प्रिया की फाँसी टलने में मौलाना कंथापुरम की कथित भूमिका के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।” उन्होंने इस संवेदनशील मामले में भारत सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि सरकार यमन की स्थानीय अथॉरिटी, निमिषा के परिवार और मित्र देशों के साथ लगातार संपर्क में है। जायसवाल ने कहा, “हमने एक वकील और काउंसलर नियुक्त किया है, जो निमिषा के परिवार की सहायता कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।”

क्या है निमिषा प्रिया का मामला?

केरल की नर्स निमिषा प्रिया 2008 में यमन गई थीं। 2017 में उन पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप लगा। निमिषा का दावा है कि मेहदी ने उनके यात्रा दस्तावेज जब्त कर लिए थे और उन्हें प्रताड़ित करता था। दस्तावेज वापस लेने की कोशिश में निमिषा ने मेहदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन ड्रग ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। यमन की अदालत ने निमिषा को फाँसी की सजा सुनाई, जिसे 16 जून को टाल दिया गया।

वामपंथी मीडिया का प्रोपेगेंडा

कुछ मीडिया आउटलेट्स, जैसे केरल के एशियानेट, रिपोर्टर टीवी और मनोरमा ऑनलाइन, ने मौलाना मुसलियार को निमिषा की फाँसी टालने का नायक बताने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर ‘हेट डिटेक्टर’ जैसे हैंडल्स ने भी यही दावा फैलाया। मौलाना ने स्वयं समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उन्होंने यमन के सूफी विद्वानों से संपर्क कर शरिया कानून के तहत रहम की अपील की। हालांकि, विदेश मंत्रालय और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने इन दावों को खारिज कर दिया है।

भारत सरकार के प्रयास

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत का यमन के हूती प्रशासन के साथ कोई औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं है, क्योंकि भारत उसे मान्यता नहीं देता। फिर भी, सरकार मित्र देशों और अन्य चैनलों, जैसे ईरान, के माध्यम से निमिषा की रिहाई के लिए प्रयासरत है। मंत्रालय ने कहा, “हम यमन की लोकल अथॉरिटी और मेहदी के परिवार से बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने ब्लड मनी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।”

मौलाना के दावों की सच्चाई

‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने भी मौलाना की कथित भूमिका को फर्जी करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अपील करना और सजा टलना दो अलग-अलग बातें हैं। मेहदी के परिवार ने अभी तक निमिषा को माफी नहीं दी है, और फाँसी केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत टली है।

विदेश मंत्रालय के बयान ने वामपंथी और इस्लामी मीडिया के प्रोपेगेंडा को बेनकाब कर दिया है। निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए भारत सरकार अपने कूटनीतिक चैनलों और मित्र देशों के सहयोग से लगातार काम कर रही है। मौलाना के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिशें न केवल भ्रामक हैं, बल्कि इस संवेदनशील मामले में गलत नैरेटिव स्थापित करने की साजिश भी प्रतीत होती हैं।

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