विश्व में मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो, एक ऐसा मंदिर जहां स्थापित शिवलिंग के नीचे मणि भगवान शिव की सैकड़ों वर्षों से की जा रही आराधना
वीर भूमि बुंदेलखंड में छतरपुर जिले के खजुराहो में बने मंदिर अपनी वास्तुकला और काम कला पर आधारित मूर्तियों के लिए मशहूर है l खजुराहो सिर्फ मंदिरों के लिए ही नहीं बल्कि अनेक मिथकों, कहानियों, रण कौशल और वीरता के लिए जाना जाता है।
मतंगेश्वर के नाम से विराजमान हैं महादेव
मान्यता है कि खजुराहो में मंदिर केवल आराधना के उद्देश्य से ही नहीं बनवाए गए थे l बल्कि इनका उद्देश्य आम लोगों को यौन शिक्षण देने के साथ साथ तांत्रिक पूजा संपन्न कराना था लेकिन यहां का मतंगेश्वर मंदिर आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है l
यहीं पर हुआ था शिव पार्वती का विवाह
भगवान शिव को समर्पित मतंगेश्वर मंदिर में सैकड़ों वर्षों से महादेव की आराधना की होती आ रही है l इस मंदिर से चमत्कार और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, जिसकी वजह से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने दूर दूर से आते हैं l यहां के लोगों की मान्यता है कि खजुराहो ही वे स्थान है, जहां भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था l
शिवलिंग के नीचे मणि स्थापित होने की है मान्यता
एक प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग के नीचे एक मणि है जो भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करती है. पुराण कथाओं के मुताबिक भगवान शिव के पास मरकत मणि थी, जिसे उन्होंने पांडवों में सबसे ज्येष्ठ युधिष्ठिर को दिया था l युधिष्ठिर ने मणि मतंग ऋषि को दी थी जिसके बाद यह मणि उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी l मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा l ऐसा कहा जाता है कि मतंग ऋषि ने मतंगेश्वर महादेव के 18 फीट के शिवलिंग के नीचे मणि सुरक्षा की दृष्टि से गाड़ दी थी l यह इस मणि और महादेव का ही प्रताप है कि यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी हो जाती है l
हर साल बढ़ जाता है शिवलिंग
मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां का ढाई मीटर ऊंचा शिवलिंग। मतंगेश्वर शिव मंदिर में बने शिवलिंग के बारे में माना जाता है कि हर साल तिल के बराबर इसकी ऊंचाई बढ़ जाती है l मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो के सभी मंदिरों में सबसे पवित्र माना जाता है l इस मंदिर के स्तंभ और दीवारों पर यहां के बाकी मंदिरों की तरह कामुक मूर्तियां आदि नहीं उकेरी गई हैं।
इस शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी लोग जानते हैं। कहा जाता है कि ये शिवलिंग जितना जमीन से ऊपर दिखाई देता है, उससे ज्यादा जमीन में दबा है।
चंदेल वंश के राजाओं ने बनवाया था मंदिर
इस मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा 9वीं सदी में करवाया गया था l खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है l यह शहर चंदेल साम्राज्य की प्रथम राजधानी था l चंदेल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे l चंद्रवर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे, वे अपने आप को चन्द्रवंशी मानते थे l