नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2025, बुधवार। नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बार फिर अपनी नीतिगत दृढ़ता और रणनीतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया है। केंद्र सरकार ने देश में जाति जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिसने विपक्ष के हाथ से एक बड़ा सियासी हथियार छीन लिया है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी को मजबूत करने और किसानों के हित में बड़े कदम उठाए गए हैं।
जाति जनगणना: विपक्ष के एजेंडे पर सरकार का दांव
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि आगामी जनगणना में जाति का डेटा भी इकट्ठा किया जाएगा। जनगणना फॉर्म में अब एक नया कॉलम होगा, जिसमें हर व्यक्ति की जाति दर्ज की जाएगी। यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि विपक्षी नेता जैसे राहुल गांधी और अखिलेश यादव लंबे समय से जाति जनगणना की मांग को हवा दे रहे थे। राहुल गांधी तो बार-बार कहते रहे कि सत्ता में आने पर वह न केवल जाति जनगणना कराएंगे, बल्कि आरक्षण की 50% सीमा को भी तोड़ देंगे। लेकिन अब मोदी सरकार ने इस मुद्दे को अपने हाथ में लेकर विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 2010 में संसद में इस पर विचार की बात कही थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उल्टे, विपक्ष ने इस मुद्दे को अपने सियासी फायदे के लिए भुनाने की कोशिश की। वैष्णव ने यह भी बताया कि कई राज्यों ने अपनी स्तर पर जाति जनगणना की, लेकिन कर्नाटक जैसे कुछ मामलों में गैर-प्रमाणिक तरीकों के कारण विवाद खड़ा हो गया। अब केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से पूरा करेगी, ताकि संसाधनों के बंटवारे, आरक्षण और नीति निर्माण में इसका सही इस्तेमाल हो सके।
पूर्वोत्तर में रणनीतिक कनेक्टिविटी: शिलॉन्ग-सिलचर हाईवे
जाति जनगणना के साथ-साथ सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास पर भी जोर दिया है। कैबिनेट ने शिलॉन्ग से सिलचर तक 166.8 किलोमीटर लंबे हाईस्पीड कॉरिडोर हाईवे के निर्माण को मंजूरी दी है। 22,000 करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट असम और मेघालय को सीधे जोड़ेगा। यह न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा, बल्कि सीमांत इलाकों में रणनीतिक लाभ भी दिलाएगा। अश्विनी वैष्णव ने इसे पूर्वोत्तर के लिए “रणनीतिक रूप से अहम” बताया। यह प्रोजेक्ट पूर्वोत्तर के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
किसानों के लिए राहत: गन्ने का MSP दोगुना
किसानों के हित में भी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अब 355 रुपये प्रति क्विंटल होगा। वैष्णव ने बताया कि गन्ने की उत्पादन लागत 173 रुपये प्रति क्विंटल है, यानी MSP लागत से दोगुना तय किया गया है। यह फैसला गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा और उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगा।
मोदी का ताबड़तोड़ एक्शन: एक दिन में 4 अहम बैठकें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन फैसलों के बीच अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा भी मनवाया। पाकिस्तान से पहलगाम हमले के तनाव के बीच उन्होंने एक ही दिन में चार अहम बैठकें कीं। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति, कैबिनेट की बैठक, राजनीतिक मामलों की कमिटी और आर्थिक मामलों की समिति की बैठकें उनके लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर हुईं। यह दर्शाता है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भी सरकार आंतरिक विकास और नीति निर्माण पर कितनी गंभीरता से काम कर रही है।
क्यों अहम हैं ये फैसले?
मोदी सरकार के ये फैसले सामाजिक, आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर दूरगामी प्रभाव डालेंगे। जाति जनगणना का फैसला सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल नीति निर्माण को डेटा आधारित बनाएगा, बल्कि विपक्ष के सियासी नैरेटिव को भी कमजोर करेगा। दूसरी ओर, पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे का विकास और किसानों के लिए MSP में बढ़ोतरी सरकार की “सबका साथ, सबका विकास” की नीति को मजबूत करते हैं।