उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में अनावश्यक बयानबाजी से माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई करने पर सरकार विचार कर रही है। एलजी ने कहा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, लेकिन अब समय है, जब बयानों से माहौल बिगाड़ने वालों पर कार्रवाई के लिए सोचना होगा। वैधानिक अधिकारों का उपयोग कर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी होगी जो प्रदेश की शांति में बाधा उत्पन्न करने, आतंकवाद को बढ़ावा देने या फिर सामाजिक विद्वेष की भावना फैलाने से प्रेरित बयानबाजी करते हैं।
आतंकवाद और इस प्रकार की गतिविधियों को जो कोई भी बढ़ावा देने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होगी।एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दरअसल 370 हटने के बाद कुछ लोगों की जागीर खतरे में पड़ गई है। इसलिए वे अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं और इसे हवा दे रहे हैं। इसकी किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले सरकारी तंत्रों में भी घुस गए हैं। ऐसे तत्वों का सफाया किया जा रहा है। ऐसे 42 लोगों को बर्खास्त किया जा चुका है। सामान्य रूप से यहां का आम नागरिक खासकर युवा इससे बाहर निकल चुका है। अब वह स्टार्टअप और इनोवेशन की ओर बढ़ रहा है। पिछले साल साढ़े सत्रह लाख युवाओं ने खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी की थी।
इस साल 35 लाख तक युवाओं की भागीदारी के प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूलों ओर शिक्षा तंत्र में भी ऐसे लोग घुस चुके थे, जो बुनियादी तौर पर माइंडसेट में बदलाव की साजिश में थे। इस पर भी नजर है और काफी हद तक स्कूली व उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम को वैज्ञानिक बनाया गया है। इस पर आगे भी काम चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि हाल में हुई टारगेट किलिंग में कश्मीरी पंडित और उत्तर प्रदेश के दो मजदूरों के मारे जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। किसी की जान का कोई मुआवजा नहीं होता। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। मुसलमान भी मारे गए हैं, लेकिन पहले की तुलना में आतंकी घटनाएं लगभग आधी रह गई हैं।
सुरक्षा परिदृश्य में सुधार हुआ है, लेकिन अपेक्षाएं बढ़ी हैं। लोगों की अपेक्षा है कि मोदी राज में एक भी हत्याएं न हो। पहले 36 हत्याएं एक दिन में होती थीं औऱ चर्चा तक नहीं होती थी। आज वह लोग भी सवाल उठा रहे हैं। अब पाकिस्तान के इशारे पर आए दिन होने वाली हड़ताल का सिलसिला थमा है।