✍️ विकास यादव
इंफाल, 19 नवंबर 2024, मंगलवार। मणिपुर में बढ़ती हिंसा ने आम लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। पिछले डेढ़ साल से राज्य में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे लोगों में भय और असुरक्षा की भावना घर कर गई है। हाल के दिनों में बीजेपी विधायकों और मंत्रियों के घरों पर हमले हुए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि आम लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
राजधानी इंफाल में बीजेपी विधायकों-मंत्रियों के घरों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई हैं। दो दिनों के भीतर तीन मंत्रियों सहित 9 विधायकों के घरों पर भीड़ ने हमला किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है।
मोदी सरकार और बीजेपी को मणिपुर में हालात सामान्य करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। लोगों की सुरक्षा और शांति की बहाली के लिए सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। मणिपुर के अलावा पूर्वोत्तर और देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
मणिपुर में हिंसा के कारण:
राजनीतिक अस्थिरता
सामाजिक और आर्थिक असमानता
कानून-व्यवस्था की कमजोरी
मणिपुर में शांति की बहाली के लिए:
सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे
लोगों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाने होंगे
राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर समझौता करना होगा
मणिपुर में बीजेपी सरकार पर संकट के बादल
मणिपुर राज्य में बीजेपी सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ गए हैं। सरकार में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई है। एनपीपी के इस फैसले के पीछे राज्य में खराब कानून-व्यवस्था स्थिति और सरकार की विफलता को मुख्य कारण बताया गया है।
क्या है एनपीपी की मांग?
एनपीपी प्रमुख कॉनराड संगमा ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है और सरकार स्थिति को संभालने में विफल रही है। एनपीपी ने अपने 7 विधायकों का समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार की स्थिति और भी कमजोर हो गई है।
क्या है बीजेपी की स्थिति?
हालांकि एनपीपी के समर्थन वापसी के बावजूद बीजेपी सरकार पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। बीजेपी के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में अकेले 37 विधायकों का बहुमत है, इसके अलावा 5 सहयोगी विधायकों, 1 जेडीयू विधायक और 3 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।
क्या है आगे की राह?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी सरकार इस संकट से कैसे निपटती है और क्या एनपीपी के समर्थन वापसी के बाद सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
कांग्रेस विधायक विधानसभा से इस्तीफा देने को तैयार
मणिपुर में हिंसा को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी पर हमलावर हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं, विदेश जा रहे हैं लेकिन मणिपुर जाने का वक्त उनके पास नहीं है, जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो बार मणिपुर जा चुके हैं। इस बीच, कांग्रेस के विधायक विधानसभा से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। बीजेपी के कई विधायक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। अमित शाह ने मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बाद महाराष्ट्र के अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और वह गृह मंत्रालय के आला अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं। यह सवाल उठता है कि पिछले डेढ़ साल से लगातार बैठकों और चिंतन के बाद भी मोदी सरकार मणिपुर को क्यों नहीं संभाल पा रही है? क्या यह सरकार की विफलता है या फिर कोई और बड़ा मुद्दा है?
एन बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग
मणिपुर में बीजेपी विधायकों का एक गुट मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग कर रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि उन्होंने राज्य में शांति बहाल करने में विफल रहे हैं। विधायकों का कहना है कि हालात और भी खराब हो सकते हैं और लोग अपना गुस्सा उन पर निकाल रहे हैं।
मुख्यमंत्री पर सवाल
विधायकों ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के पास कोई ताकत नहीं है और सब कुछ सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के हाथ-पैर बांध दिए गए हैं और उन्हें नदी में फेंक दिया गया है। ऐसे में आप उनसे तैरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
केंद्रीय नेतृत्व से अपील
विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से अपील की है कि वे इस मामले में फैसला करें। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले बीजेपी के 19 विधायकों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपकर बताया था कि राज्य में हिंसा खत्म करने के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए।
काबू से बाहर हैं हालात
मणिपुर के लोगों के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर और भारत के तमाम हिस्सों को मणिपुर में हालात सामान्य होने का इंतजार है। बीजेपी विधायकों के बयानों से साफ पता चलता है कि मणिपुर में हालात काबू से बाहर हैं और इनके जल्द सामान्य होने की कोई उम्मीद भी नहीं दिखाई देती। लेकिन इस खराब दौर में भी यह मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि मणिपुर में शांति का सूरज कभी ना कभी जरूर उगेगा लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार को बहुत ठोस कोशिश करनी होगी।