नई दिल्ली, 8 दिसंबर 2024, रविवार। राजनीतिक गलियारों में एक नए सियासी तूफान की आहट सुनाई दे रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है, जिससे राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है। कांग्रेस ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व के फैसले सार्वजनिक घोषणाओं के बजाय सभी सदस्य दलों द्वारा सामूहिक रूप से लिए जाएंगे। यह बयान कांग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकारों द्वारा जारी किया गया है, जो ममता बनर्जी के बयान के बाद सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
दरसल, ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन कामकाज से असंतोष जताते हुए कहा कि अगर उन्हें मौका दिया जाता है तो वह गठबंधन को नेतृत्व देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह फिलहाल बंगाल नहीं छोड़ेंगी, लेकिन बंगाल में रहकर ही वह गठबंधन का संचालन कर सकती हैं। इस मामले में टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद और सांसद कल्याण बनर्जी ने भी अपनी राय दी है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को इंडिया गठबंधन का प्रमुख बनाया जाना चाहिए।
कांग्रेस का पलटवार: इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सामूहिक फैसला!
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने ममता बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताने वाले नेताओं में नीतीश कुमार भी शामिल हैं। अल्वी ने कहा कि इस तरह के गठबंधन में नेतृत्व के फैसले एकतरफा नहीं लिए जाते हैं, बल्कि इसके लिए सभी सदस्यों के बीच सहमति और परामर्श की जरूरत होती है।
अल्वी ने आगे कहा कि गठबंधन के नेताओं के लिए नेतृत्व करने की आकांक्षा रखना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे निर्णय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखकर नहीं लिए जाते हैं। कांग्रेस के लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने भी कहा कि इंडिया ब्लॉक कई दलों का गठबंधन है और नेतृत्व के फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।
इंडिया ब्लॉक में आंतरिक कलह: कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल, टीएमसी की ममता को प्रमुख नेतृत्व की मांग!
चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए इंडिया ब्लॉक का गठन किया गया था, जिसमें दो दर्जन से अधिक विपक्षी दल शामिल हैं। कांग्रेस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और वह गठबंधन को नेतृत्व दे रही है। दूसरी ओर, टीएमसी ने लगातार ममता बनर्जी को प्रमुख नेतृत्व की भूमिका निभाने की वकालत की है।
हालांकि, इंडिया ब्लॉक को आंतरिक विभाजन और समन्वय की कमी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए हैं, खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की पराजय के बाद गठबंधन की पार्टियों के बीच तकरार और भी बढ़ गई है।