साल 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में एक और गवाह आज अदालत में मुकर गया। यह 18वां गवाह था जो कि गवाही देने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उसने अदालत में मौजूद लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को पहचानने से भी इनकार कर किया। बता दें कि इससे पहले तीन फरवरी को हुई सुनवाई में 17वां गवाह भी मुकर गया था और गवाही देने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं उसने अदालत में महाराष्ट्र एटीएस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसने कहा था कि महाराष्ट्र एटीएस ने उसका अपहरण कर लिया था और उसे तीन-चार दिनों तक अवैध हिरासत में रखा। उसने कहा कि इस मामले में उसे आरएसएस नेताओं का नाम लेने के लिए जबरन मजबूर किया गया था।
साल 2008 में 29 सितंबर की रात नौ बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था। यह धमाका एलएमएल मोटरसाइकिल में हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे।
धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस थाने में मामले दर्ज किए गए। चूंकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए इसकी जांच की जिम्मेदारी महाराष्ट्र एटीएस को दी गई। 21 अक्तूबर 2008 को एफआईआर में यूएपीए (UAPA) और मकोका (MCOCA) की धारा लगाई गईं।
इससे पहले मालेगांव धमाका मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने विशेष अदालत में आवेदन दायर कर मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की अपील की थी। पुरोहित ने कहा कि न्याय के हित में मामला अदालत के कक्ष तक ही सीमित रहना चाहिए।
अपने आवेदन में पुरोहित ने कहा कि अदालत के 2019 के आदेश का मीडिया उल्लंघन कर रहा है। इसलिए मुकदमे को कवर करने की अनुमति को पूरी तरह से वापस लिया जाए। आवेदन में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 2019 में अदालत के समक्ष दिए गए ऐसे ही एक आवेदन में मुकदमे की सुनवाई बंद कमरे में आयोजित करने और मीडिया को रिपोर्टिंग की इजाजत नहीं देने का अनुरोध किया था।