नई दिल्ली, 13 सितंबर 2025: भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव सौंपा है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत देश में ही निर्मित होंगे। इस मेगा डील की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा बन सकता है।
फ्रांसीसी कंपनी दासौ एविएशन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इन विमानों का निर्माण करेगी, जिसमें 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा। इस परियोजना में टाटा जैसी भारतीय कंपनियां अहम भूमिका निभाएंगी। दासौ हैदराबाद में राफेल के एम-88 इंजनों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा स्थापित करने की योजना बना रही है।
सामरिक ताकत में इजाफा
इस सौदे के पूरा होने पर भारतीय वायुसेना के पास कुल 176 राफेल विमान होंगे। वर्तमान में वायुसेना के पास 36 राफेल हैं, जबकि नौसेना ने 26 विमानों का ऑर्डर दिया है। हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने अपनी श्रेष्ठता साबित की, जहां इसकी स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली ने चीन की पीएल-15 मिसाइलों को नाकाम किया। नए विमानों में स्कैल्प से लंबी रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें होंगी, जो आतंकवादी ठिकानों और सैन्य लक्ष्यों पर सटीक हमले में सक्षम होंगी।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा
इस सौदे से भारतीय रक्षा उद्योग को ऐतिहासिक अवसर मिलेगा। स्वदेशीकरण के साथ-साथ तकनीक हस्तांतरण, रोजगार सृजन और एयरोस्पेस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। यह सौदा भारत की सामरिक ताकत को मजबूत करने के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों का मुकाबला करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
वायुसेना की भविष्य की रणनीति
वायुसेना की लड़ाकू विमान संरचना सुखोई-30 एमकेआई, राफेल और स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर आधारित होगी। भारत ने पहले ही 180 एलसीए मार्क-1ए विमानों का ऑर्डर दिया है और 2035 के बाद पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी विमानों को शामिल करने की योजना है।
रक्षा मंत्रालय इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। मंजूरी मिलने पर यह सौदा न केवल भारत की सैन्य ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान भी दिलाएगा।