कोलकाता, 30 मार्च 2025, रविवार। पश्चिम बंगाल की सियासी जमीन एक बार फिर गर्म हो रही है, और इस बार आवाज़ उठी है बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मिथुन चक्रवर्ती की। मिथुन ने हिंदू मतदाताओं से एक ऐसी अपील की है जो न सिर्फ भावनाओं को झकझोरती है, बल्कि आने वाले दिनों की एक डरावनी तस्वीर भी खींचती है। उनका कहना है, “भाजपा को जिताएं, नहीं तो बंगाल में हिंदुओं का वजूद मिटने की कगार पर पहुंच जाएगा।”
बांग्लादेश है ‘ट्रेलर’, असली फिल्म बाकी?
मिथुन ने अपने बयान में बांग्लादेश का ज़िक्र करते हुए एक सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश तो बस ट्रेलर है। जो वहां हुआ, वो महज़ एक झलक है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो बंगाल में हिंदू बंगालियों का भविष्य संकट में पड़ सकता है।” यह बयान न सिर्फ चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि हिंदू वोटरों के बीच एकजुटता की भावना को भी उभारने की कोशिश करता नज़र आता है। मिथुन का इशारा साफ है—अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो परिणाम भयावह हो सकते हैं।
9% हिंदू अभी भी सो रहे हैं
मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी बात को और जोरदार बनाते हुए एक आंकड़ा पेश किया। उन्होंने कहा, “आज भी 9 प्रतिशत हिंदू हमारे साथ वोट नहीं करते। मैं चिल्ला-चिल्लाकर कहता हूं—इस बार घरों से बाहर निकलें और भाजपा को वोट दें।” उनका यह बयान उन हिंदू मतदाताओं को जगाने की कोशिश है, जो अब तक मतदान में उदासीन रहे हैं। मिथुन की आवाज़ में गुस्सा, चिंता और उम्मीद का एक अनोखा मिश्रण है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि यह सिर्फ एक चुनावी अपील नहीं, बल्कि “अस्तित्व की लड़ाई” है।
हिंदू वोटरों के लिए आखिरी चेतावनी?
मिथुन ने अपनी बात को और प्रभावशाली बनाते हुए कहा कि यह समय केवल वोट डालने का नहीं, बल्कि अपनी पहचान और संस्कृति को बचाने का है। “यह हमारी आखिरी लड़ाई हो सकती है,” उन्होंने जोर देकर कहा। उनकी यह अपील पश्चिम बंगाल के हिंदू समुदाय को एकजुट करने और भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करने की एक रणनीति का हिस्सा लगती है।
क्या होगा असर?
मिथुन चक्रवर्ती का यह बयान निश्चित रूप से बंगाल की सियासत में हलचल मचाने वाला है। जहां एक तरफ उनके समर्थक इसे हिंदू एकता की पुकार मान रहे हैं, वहीं विरोधी इसे धार्मिक आधार पर वोट मांगने की कोशिश करार दे रहे हैं। लेकिन एक बात तय है—मिथुन की यह भावुक अपील लोगों के दिलों तक पहुंची है और आने वाले दिनों में इसका असर मतदान के रुझानों में देखने को मिल सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या हिंदू मतदाता मिथुन की इस पुकार पर लामबंद होंगे? क्या बंगाल की जनता इसे एक सियासी ड्रामा मानेगी या वाकई इसे अपने अस्तित्व से जोड़कर देखेगी? जवाब तो वक्त ही देगा, लेकिन मिथुन ने जो चिंगारी सुलगाई है, वह बंगाल की राजनीति को गरमा देने के लिए काफी है।