लखनऊ, 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार। आज जयप्रकाश नारायण की जयंती है। उनके द्वारा किए गए समाजसेवा और संघर्ष की वजह से उन्हें लोकनायक भी कहा जाता है। तो वहीं, यूपी की राजनीति में जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JP सेंटर) एक नया मुद्दा बनता दिख रहा है। गुरुवार की रात अखिलेश यादव के जेपी सेंटर पहुंचने से वहां हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला था। अखिलेश यादव जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर में श्रद्धांजलि देने की जिद पर अड़े हुए थे। लेकिन यूपी सरकार ने उनके आवास के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात कर बैरिकेडिंग लगा दी। ताकि वे JPNIC के कैंपस तक नहीं पहुंच सकें। इसके बाद अखिलेश यादव अपने घर से बाहर निकले। जहां उनके कार्यकर्ता जेपी की प्रतिमा लेकर वहां पहुंचे और अखिलेश यादव ने बीच सड़क पर ही जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।
लखनऊ में अखिलेश यादव के आवास के बाहर तैनात पुलिस
खबरों के मुताबिक, अखिलेश यादव आज घर से न निकल पाएं उसके लिए लखनऊ प्रशासन ने घेरेबन्दी शुरू कर दी है। अखिलेश यादव के घर के बाहर बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता सील कर दिया गया है। अखिलेश यादव ने सुबह 10 बजे वहां पहुंचकर समाजवादी नेता स्व. जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की बात कही थी। दरअसल, जय प्रकाश नरायण की जयंती की पूर्व संध्या पर गुरुवार देर शाम लखनऊ में राजनीतिक सरगरमी बढ़ गई। सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने गोमती नगर स्थित जेपीएनआईसी बिल्डिंग का सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया है। जेपीएनआईसी के गेट के बाहर टिन शेड खड़े कर दिए गए हैं। शेड पर लिखा गया है कि बिल्डिंग निर्माणाधीन है।
उधर, इसकी जानकारी होने पर रात करीब रात 11.30 बजे सपा अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जेपीएनआईसी बिल्डिंग पहुंच गए। अखिलेश यादव ने इसका विरोध जताया। उन्होंने यूपी सरकार पर जमकर हमला बोला। अखिलेश ने कहा कि महान नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उन्हें सम्मान देने नहीं दे रही और यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। हर वर्ष जयप्रकाश नारायण की जयंती के दिन समाजवादी लोग यहां इकठ्ठा होते थे। उनका माल्यार्पण करते थे। उनका सम्मान करते थे। अपने विचार रखते थे। वह महान नेता जिन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया और उस समय की सरकार के सामने झुका नहीं। एक समय ऐसा भी आया कि उसकी संपूर्ण क्रांति की वजह से देश में परिवर्तन हुआ। यहां सोशलिस्टों का म्यूजियम है। जयप्रकाश की प्रतिमा लगी है। टीन शेड लगाकर सरकार आखिरकार क्या छिपाना चाहती है। दीवारों से विचारधाराएं नहीं रोकी जा सकती हैं।