मुंबई, 29 मई 2025, गुरुवार। महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने मंदिरों और ऐतिहासिक स्मारकों के कायाकल्प के लिए दिल खोलकर खजाना खोल दिया है! बुधवार को सरकार ने 2,954 करोड़ रुपये की योजनाओं को हरी झंडी दिखाई, जो राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन देने के लिए समर्पित हैं।
रानी अहिल्याबाई होलकर की स्मृति में भव्य योजना
इस मेगा प्लान का सबसे चमकता सितारा है 681.3 करोड़ रुपये की परियोजना, जो 18वीं सदी की वीरांगना रानी अहिल्याबाई होलकर के जन्मस्थल चौंडी, अहिल्यानगर में उनके स्मारक के संरक्षण और विकास के लिए है। रानी की 300वीं जयंती से पहले अहिल्यानगर में हुई कैबिनेट बैठक में इसकी घोषणा ने पहले ही सुर्खियां बटोरी थीं। यह परियोजना न केवल इतिहास को संजोएगी, बल्कि इसे पर्यटन के नक्शे पर भी चमकाएगी।
तीर्थ स्थलों का होगा भव्य कायाकल्प
सरकार ने सात प्रमुख तीर्थ स्थलों के लिए 5,503 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं को भी मंजूरी दी है। इसमें शामिल हैं:
अष्टविनायक मंदिर: 147.8 करोड़ रुपये के साथ इन मंदिरों को नया स्वरूप मिलेगा, जिसमें 100 करोड़ मंदिरों के संरक्षण और 47.4 करोड़ बिजली, लाइटिंग और आर्किटेक्चरल डिजाइन के लिए खर्च होंगे।
तुलजाभवानी मंदिर, तुलजापुर: 1,865 करोड़ रुपये की भव्य योजना के साथ यह नवरात्रि का प्रमुख केंद्र और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक और आकर्षक बनेगा।
ज्योतिबा मंदिर, कोल्हापुर: 259.6 करोड़ रुपये से न केवल मंदिर, बल्कि आसपास की झीलों का सौंदर्यीकरण भी होगा। यह प्रोजेक्ट मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर: 1,445 करोड़ रुपये की योजना से इस मंदिर की भव्यता और बढ़ेगी।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर: 275 करोड़ रुपये के निवेश से यह शिवभक्तों का पसंदीदा गंतव्य और शानदार बनेगा।
माहुरगड, नांदेड़: 829 करोड़ रुपये से इस तीर्थ स्थल का विकास होगा।
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का खजाना
इन योजनाओं में मंदिरों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधा का भी खास ध्यान रखा गया है। बेहतर बुनियादी ढांचा, आधुनिक सुविधाएं और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ये परियोजनाएं मील का पत्थर साबित होंगी। अष्टविनायक जैसे मंदिर, जो पहले से ही महाराष्ट्र के धार्मिक और पर्यटन स्थलों में गिने जाते हैं, अब और अधिक आकर्षक बनेंगे।
संस्कृति और आस्था का सम्मान
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम न केवल धार्मिक स्थलों को संवारने का है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। तुलजाभवानी और ज्योतिबा जैसे मंदिर, जो लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं, अब विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ चमक उठेंगे।