वाराणसी, 27 नवंबर 2024, बुधवार। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुरूवार से शास्त्रार्थियों का महाकुंभ आयोजित किया गया है। इस महाकुंभ में देशभर के अपने शास्त्रों के मर्मज्ञ विद्वान् जुटेंगे, जो वेद, व्याकरण, मीमांसा, वेदान्त, न्याय, एवं साहित्य आदि शास्त्रों के गहन विषयों पर काशिकेय प्राचीन शास्त्रार्थ पद्धति एवं दाक्षिणात्य शास्त्रार्थ पद्धति से चिन्तन मंथन करेंगे।
इस महाकुंभ में विद्वान अपनी प्रतिभा दिखाएंगे और शास्त्रों के गहन विषयों पर चर्चा करेंगे। महाकुंभ में शामिल होने वाले विद्वानों ने कहा कि यह आयोजन काशी में पहली बार हो रहा है, जिसमें महामना की बगिया में महामना की भावना के अनुरूप शास्त्रार्थी विद्वानों का महाकुंभ लगेगा।
महाकुंभ के आयोजकों ने कहा कि यह आयोजन शास्त्रों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और विद्वानों को एक मंच प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया है। महाकुंभ में शामिल होने वाले विद्वानों ने कहा कि यह आयोजन शास्त्रों के प्रति उनकी ज्ञान और समझ बढ़ाने में मदद करेगा।
शास्त्रार्थ सभा में देशभर के विद्वानों का जमावड़ा
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित शास्त्रार्थ सभा में देशभर के विद्वानों का जमावड़ा होगा। इस सभा में चेन्नई से न्याय, मीमांसा एवं वेदान्त आदि शास्त्रों के पारंगत विद्वान आचार्य मणि द्राविड़, तिरुपति (आन्ध्रप्रदेश) से न्याय, वेदान्त आदि के विद्वान आचार्य गणपति भट्ट, आचार्य के.एस सतीश, श्रृंगेरी (कर्नाटक) से व्याकरण शास्त्र के विद्वान आचार्य कृष्णानन्त पद्मनाभन, वेदान्त के विद्वान आचार्य गणेश ईश्वर भट, जयपुर (राजस्थान) से साहित्य शास्त्र के विद्वान आचार्य रामकुमार शर्मा, देवप्रयाग (उत्तराखंड) से व्याकरण शास्त्र के युवा विद्वान आचार्य गणेश्वर नाथ झा आदि भी भागीदारी कर रहे हैं।
संकाय प्रमुख प्रो.राजाराम शुक्ल ने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा को समृद्ध एवं व्यापक बनाने में इस प्राचीन महनीय शास्त्रार्थ परम्परा का विशिष्ट अवदान रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत वांगमय में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक से एक अद्भुत वैज्ञानिक शोधपरक ग्रन्थों की रचना एवं विशिष्ट सिद्धान्तों का उद्भव व विकास हुआ है।