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Thursday, February 6, 2025

महाकुम्भ 2025: प्रयागराज में 144 वर्ष बाद पड़ने वाला यह महायोग, जानें इसकी खास बातें!

प्रयागराज, 2 जनवरी 2025, गुरुवार। प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुम्भ मेले की शुरुआत होने वाली है, जो 144 वर्ष बाद पड़ने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष ग्रह नक्षत्रों के विशिष्ट संयोग से महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है। महाकुम्भ 2025, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ समाप्त होगा। मेले के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं, और साधु-संन्यासी, कल्पवासी, श्रद्धालु और प्रयागराजवासी सभी महाकुम्भ का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं। महाकुम्भ में संगम, मेला क्षेत्र और प्रयागराज के दुकानदार पूजा सामग्री, पत्रा-पंचाग, धार्मिक पुस्तकें, रुद्राक्ष और तुलसी की मालाओं को नेपाल, बनारस, मथुरा-वृदांवन से मंगा रहे हैं। श्रद्धालु महाकुम्भ में आने के बाद संगम क्षेत्र से धार्मिक पुस्तकें, पूजन सामग्री, रोली-चंदन और मालाएं अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं।
महाकुम्भ 2025: प्रयागराज में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की तैयारी, देश के कोने-कोने से मंगाई जा रही है विशेष सामग्री!
महाकुम्भ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इस वर्ष महाकुम्भ के अवसर पर 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में आने का अनुमान है। श्रद्धालुओं के लिए स्नान और रहने की व्यवस्थाओं का प्रबंध सीएम योगी के दिशानिर्देश पर मेला प्राधिकरण पूरे जोश और उत्साह के साथ कर रहा है। महाकुम्भ के लिए पूरे शहर में होटल, रेस्टोरेंट, खाने-पीने की दुकानों के साथ पूजा सामग्री, धार्मिक पुस्तकों, माला-फूल की दुकानें भी सजने लगी हैं। थोक व्यापारियों का कहना है कि महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के अनुमान के मुताबिक दूसरे शहरों से समान मंगाया जा रहा है।
महाकुम्भ के लिए विभिन्न शहरों से विशेष सामग्री मंगाई जा रही है। रुद्राक्ष की मालाएं उत्तराखण्ड और नेपाल से मंगाई जा रही हैं, जो अपनी गुणवत्ता और पवित्रता के लिए जानी जाती हैं। तुलसी की मालाएं मथुरा-वृंदावन से मंगाई जा रही हैं, जो अपनी सुगंध और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, रोली, चंदन और अन्य पूजन सामग्री बनारस और दिल्ली के पहाड़गंज से मंगाई जा रही है। ये सामग्री अपनी गुणवत्ता और पवित्रता के लिए जानी जाती हैं और महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। महाकुम्भ के लिए पूरे शहर में विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि स्थानीय व्यापारियों और प्रयागराजवासियों के लिए भी एक बड़ा अवसर है। महाकुम्भ के दौरान शहर में व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ होगा।
महाकुम्भ 2025: प्रयागराज में धार्मिक पुस्तकों और पूजा सामग्री की मांग बढ़ी, दुकानदारों ने शुरू की तैयारी!
प्रयागराज में धार्मिक पुस्तकों के विक्रेता संजीव तिवारी का कहना है कि सबसे ज्यादा गीता प्रेस, गोरखपुर से छपी धार्मिक पुस्तकों की मांग होती है। अधिकांश श्रद्धालु राम चरित मानस, भागवत् गीता, शिव पुराण और भजन व आरती संग्रह की मांग करते हैं। इसके अलावा, पूजा-पाठ का काम करने वाले पुजारी वाराणसी से छपे हुए पत्रा और पंचाग भी खरीद कर ले जाते हैं। ये पत्रा और पंचाग पूजा-पाठ के लिए आवश्यक होते हैं और श्रद्धालु इन्हें अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं।
महाकुम्भ में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु और साधु-संन्यासी पूजा-पाठ के लिए हवन सामग्री, आसन, गंगाजली, दोनें-पत्तल, कलश आदि की मांग करते हैं। इन सामग्रियों को बड़ी मात्रा में दुकानदार अपनी दुकानों में मंगा कर स्टोर कर रहे हैं। इसके अलावा, मुरादाबाद और बनारस में बनी पीतल और तांबें की घंटियां, दीपक, मूर्तियां भी मंगाई जा रही हैं। ये सामग्री पूजा-पाठ के लिए आवश्यक होती है और श्रद्धालु इन्हें अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं। महाकुम्भ 2025 के लिए प्रयागराज में विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि स्थानीय व्यापारियों और प्रयागराजवासियों के लिए भी एक बड़ा अवसर है। महाकुम्भ के दौरान शहर में व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ होगा।

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