प्रयागराज, 31 दिसंबर 2024, मंगलवार। महाकुम्भ 2025 की तैयारियाँ पूरे जोरों पर हैं। प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन बस कुछ दिनों में शुरू होने वाला है, और महाकुम्भनगर में पूज्य संतों का आगमन भी शुरू हो चुका है। योगी सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं से संत समाज भी प्रभावित हैं। गोवर्धनमठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने योगी सरकार की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं एक साधु पुरुष हैं और वे बार-बार आकर व्यवस्थाओं का अवलोकन कर रहे हैं। इससे धर्मावलंबियों का हौसला और मनोबल प्रबल हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ऋषि मुनियों और साधकों को साधना, यज्ञ और तप करने के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है। महाकुम्भ में साधु संतों की पूजा और अनुष्ठान का पुण्य राज्य और स्वयं उनको प्राप्त होगा। सभी संत और महंत मुख्यमंत्री जी की यश, कीर्ति, मान, सम्मान और उज्ज्वल भविष्य के लिए विशेष प्रार्थना करेंगे।
महाकुम्भ 2025: स्वामी अधोक्षजानंद ने की मुख्यमंत्री की प्रशंसा, कहा- सनातन का झंडा पूरे विश्व में लहराने वाला है!
स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि भारत में विधर्मी शासन के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों को महत्व नहीं मिलता था, लेकिन अब सनातन को मानने वालों का शासन आया है और इसका असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि तीर्थ क्षेत्र में आने के लिए भक्ति और भक्त होना जरूरी है, और अभक्त और अशिष्ट शासकों को तीर्थ स्वीकार नहीं करेगा। स्वामी अधोक्षजानंद ने मुख्यमंत्री की प्रशंसा की और कहा कि वे राज्य की समृद्धि, कल्याण, आर्थिक उत्थान और मुख्यमंत्री के खुद के अभ्युदय की विशेष कामना करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि राक्षसी प्रवृत्तियां सनातन को चोट पहुंचाने और भ्रम फैलाने के लिए कार्य करती रही हैं, लेकिन परमात्मा अवतार लेते हैं और सनातन धर्मावलंबियों को शक्ति प्रदान करते हैं। स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि महाकुम्भ सनातन धर्मावलंबियों को शक्ति प्रदान करेगा और सनातन का झंडा पूरे विश्व में लहराने वाला है।
देश में धार्मिक स्थलों के उन्नयन का नया दौर: सभ्य शासक के आने से समाज में सुख और समृद्धि का संचार!
देश और राज्य में धार्मिक स्थलों के उन्नयन पर एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब भी कोई सभ्य शासक हुआ है, उसने अपनी प्रजा के साथ हुए अन्याय और उनकी आहत भावनाओं को समझने की कोशिश की है। हमारे देश में देवी-देवता, मठ-मंदिर, गंगा-यमुना, हिमालय जैसे पवित्र स्थल हमारे अराध्य देव हैं। इनका मान-सम्मान होने से समाज सुखी और समृद्ध होता है। लेकिन जब हमारे मठ-मंदिरों को तोड़ा गया और हमारे सांस्कृतिक प्रतीकों को चोट पहुंचाई गई, तो यह एक दुखद समय था। लेकिन जब असुरीय शक्तियां हावी होती दिखती हैं, तो दैवीय शक्तियां उत्पन्न होती हैं। ऐसे महान लोग महापुरुष, त्यागी, बैरागी, ज्ञानी, आचार्य के रूप में आते हैं और एक महान शासक के रूप में भी कार्य करते हैं। आज हमारे लिए आनंद का समय है, क्योंकि हमारा शासक अनुकूल है और हमारा धर्म-कर्म सब अनुकूल है।
महाकुम्भ 2025: असम से आए केले के पत्तों के बने आसन बनेंगे आकर्षण का केंद्र!
महाकुम्भ 2025 में एक अनोखा आकर्षण देखने को मिलेगा, जो असम से आए केले के पत्तों के बने आसन होंगे। स्वामी अधोक्षजानंद के शिविर में इन आसनों को विशेष रूप से तैयार किया गया है और ये महाकुम्भ के दौरान यज्ञशाला में हवन में उपयोग में लाए जाएंगे। इन आसनों को बनाने की प्रक्रिया भी बहुत रोचक है। केले के पेड़ को काटकर और खोलकर सुखाया जाता है, और फिर इसे जोड़कर तैयार किया जाता है। स्वामी अधोक्षजानंद ने बताया कि पहली बार महाकुम्भ में इस तरह के आसन लाए गए हैं। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्ट से बड़ी संख्या में नारियल और कच्ची सुपारी (तांबुल) भी लाई गई है, जो महाकुम्भ के दौरान हवन में उपयोग में लाई जाएंगी। अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में नारियल और सुपारी लाई जा रही है, जो महाकुम्भ के दौरान एक अनोखा और आकर्षक अनुभव प्रदान करेंगी।