प्रयागराज, 9 नवंबर 2024, शनिवार। संगम नगरी में 2025 के महाकुंभ की तैयारी चल रही है, लेकिन अखाड़ा परिषद और सपा सांसद डिंपल यादव के बीच विवाद हो गया है। अखाड़ा परिषद ने गैर-हिंदुओं को खानपान की दुकानें देने की अनुमति न देने की मांग की, जिस पर डिंपल यादव ने धर्म के आधार पर भेदभाव करने की आलोचना की। अब अखाड़ा परिषद ने उनके बयान पर नाराजगी जताई है।
परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि डिंपल यादव को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था, खासकर जब वे उत्तराखंड से हैं और वहां के लोग इस मेले में भाग लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है, इसलिए डिंपल को इस तरह के बयान से बचना चाहिए। महंत रवींद्र पुरी ने कहा है कि अगर उत्तराखंड के जंगलों में तपस्या करने वाले साधु-संतों को कुंभ मेले में अशुद्ध या अपवित्र चीजें खिलाई जाएं, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गैर-सनातनियों को खाने-पीने की दुकानें न दी जाएं, ताकि साधु-संतों की पवित्रता और शुद्धता बनी रहे।
डिंपल यादव का बयान
सपा सांसद डिंपल यादव ने अखाड़ा परिषद की मांग का विरोध किया, कहा कि धार्मिक आयोजन में व्यापार को धर्म के आधार पर बांटना अनुचित है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग गंगा-जमुनी तहजीब को मिटाना चाहते हैं और देश में धर्मनिरपेक्षता के तानेबाने को नष्ट करना चाहते हैं। डिंपल यादव के मुताबिक, ये लोग नहीं चाहते कि देश संविधान के मुताबिक चले, बल्कि वे अपने हितों के लिए धर्म के नाम पर विभाजन करना चाहते हैं।
क्या है अखाड़ा परिषद की मांग?
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कुंभ मेले में शुद्धता और पवित्रता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मांग रखी है। परिषद ने प्रशासन से कहा है कि गैर-हिंदुओं को दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाए, क्योंकि उनका मानना है कि गैर-हिंदू मेले की पवित्रता से खिलवाड़ कर सकते हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि देश में कई घटनाएं सामने आई हैं जहां खाने में थूक, पेशाब आदि मिलाकर परोसा गया था।
हालांकि, परिषद ने साफ किया है कि उनका विरोध किसी विशेष समुदाय से नहीं है, बल्कि वे मेले की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना चाहते हैं। यह मांग महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच आई है, जो प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा।