लखनऊ, 28 अप्रैल 2025, सोमवार। लखनऊ में अपने आशियाने का सपना संजोए सैकड़ों परिवारों के लिए एक दिल तोड़ने वाली खबर आई है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने वसंत कुंज सेक्टर-ए योजना को रद्द कर दिया है, जिसने 275 परिवारों के अपने घर के सपने को चकनाचूर कर दिया। दो साल पहले लॉटरी के जरिए प्लॉट आवंटित किए गए थे, लोगों ने मेहनत से कमाई राशि जमा की थी, लेकिन अब पता चला कि जिस जमीन पर यह योजना बनाई गई थी, वह एलडीए के पास थी ही नहीं।
एलडीए की लापरवाही, लोगों में गुस्सा
यह खबर सामने आते ही आवंटियों में गुस्सा और निराशा की लहर दौड़ गई। एलडीए की इस लापरवाही ने न केवल लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनकी भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई। कई परिवारों ने अपने सपनों का घर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर पैसे जमा किए थे। एक आवंटी ने गुस्से में कहा, “हमने दो साल तक अपने घर का सपना देखा, समय पर पूरी रकम जमा की, और अब कहते हैं जमीन ही नहीं थी। यह तो सरासर धोखा है।”
एलडीए ने अब आवंटियों को पत्र भेजकर सूचित किया है कि वे अपनी जमा राशि ब्याज समेत वापस ले सकते हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या ब्याज उस भावनात्मक नुकसान की भरपाई कर सकता है, जो इन परिवारों ने सहा?
क्यों रद्द हुई योजना?
एलडीए ने दावा किया था कि वसंत कुंज सेक्टर-ए में 376,257 वर्ग मीटर जमीन पर जल्द कब्जा ले लिया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि 1981 से इस जमीन का अधिग्रहण अटका हुआ था। किसानों के साथ मुआवजे को लेकर सहमति नहीं बन पाई, जिसके चलते एलडीए जमीन पर कब्जा नहीं कर सका। अब अधिकारी कह रहे हैं कि किसानों के साथ बातचीत अंतिम दौर में है और भविष्य में उसी जमीन पर नई आवासीय योजना लाई जा सकती है। लेकिन यह वादा उन लोगों के लिए खोखला है, जिनके सपने आज टूट चुके हैं।
आवंटियों का दर्द
“हमने अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित छत का सपना देखा था। दो साल तक इंतजार किया, लेकिन अब सब बेकार,” एक आवंटी ने दुखी मन से कहा। कई परिवारों ने इस योजना के लिए लोन लिए, अपनी जमा-पूंजी लगाई, और अब उन्हें सिर्फ ब्याज के साथ राशि लौटाने का भरोसा दिया जा रहा है। यह स्थिति न केवल एलडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि उन परिवारों की उम्मीदों को भी तोड़ती है, जो अपने घर के सपने को हकीकत में बदलने की राह पर थे।
आगे क्या?
एलडीए का कहना है कि भविष्य में नई योजना लाई जाएगी, लेकिन मौजूदा हालात ने लोगों का भरोसा डगमगा दिया है। आवंटियों का गुस्सा जायज है, क्योंकि यह सिर्फ पैसे का सवाल नहीं, बल्कि उनके विश्वास और सपनों का सवाल है। क्या एलडीए इस भूल की जिम्मेदारी लेगा? या यह सिर्फ एक और अधूरी कहानी बनकर रह जाएगी? फिलहाल, लखनऊ के इन 275 परिवारों के लिए अपने घर का सपना अब एक दूर की कौड़ी बन चुका है।