लखनऊ, 7 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) की नेत्री पूजा शुक्ला के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। उन पर बंद पड़े सरकारी स्कूल में बिना अनुमति ‘PDA पाठशाला’ चलाने का आरोप लगा है। प्राथमिक विद्यालय उमरभारी में ताला तोड़कर अवैध रूप से शैक्षिक गतिविधियां संचालित करने की शिकायत पर सैरपुर थाने में पूजा शुक्ला और अन्य के खिलाफ भारतीय नवसनान संहिता (बीएनएस) की धारा 324(4) और 329(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
क्या है मामला?
प्रधानाध्यापक आशुतोष मिश्रा की तहरीर के अनुसार, कम छात्र संख्या के कारण उमरभारी प्राथमिक विद्यालय को एक महीने पहले बढ़ौली विद्यालय में मर्ज कर दिया गया था। इसके बाद 1 जुलाई 2025 से उमरभारी का स्कूल परिसर बंद है। आरोप है कि सपा नेत्री पूजा शुक्ला ने जबरन ताला तुड़वाकर परिसर में ‘PDA पाठशाला’ शुरू की, जिसमें बच्चों को पढ़ाने के नाम पर कथित तौर पर राजनीतिक गतिविधियां संचालित की गईं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया।
पुलिस जांच में जुटी
एसीपी बीकेटी अमोल मुरकुट ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। विद्यालय भवन के अवैध उपयोग, जबरन प्रवेश, और सोशल मीडिया पर प्रचार जैसे पहलुओं की जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सपा का पलटवार: ‘शिक्षा के अधिकार की लड़ाई’
सपा ने इस कार्रवाई को विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश करार दिया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “भाजपा सरकार स्कूल बंद करके गरीब बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है। PDA पाठशाला इस अन्याय के खिलाफ हमारा आंदोलन है। पुलिस की FIR हमें नहीं रोक सकती।” पूजा शुक्ला ने भी दावा किया कि वह बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं और यह मुकदमा राजनीतिक दबाव का नतीजा है।
विवादों में PDA पाठशाला
PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पाठशाला सपा का एक अभियान है, जिसे अखिलेश यादव ने सरकारी स्कूलों के मर्जर के विरोध में शुरू किया। सहारनपुर, कानपुर, भदोही, और कन्नौज समेत कई जिलों में सपा नेताओं पर ऐसी पाठशालाएं चलाने के लिए मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। प्रशासन का कहना है कि बिना अनुमति स्कूल परिसर में इस तरह की गतिविधियां गैरकानूनी हैं और बच्चों का राजनीतिक इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विपक्ष की आवाज़ या नियमों की अवहेलना?
यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। जहां सपा इसे शिक्षा के अधिकार की लड़ाई बता रही है, वहीं सत्ताधारी भाजपा ने इसे बच्चों के राजनीतिक दुरुपयोग का मामला करार दिया। भाजपा नेताओं का आरोप है कि सपा की PDA पाठशालाओं में बच्चों को ‘A फॉर अखिलेश, D फॉर डिंपल’ जैसे नारे पढ़ाए जा रहे हैं, जो शिक्षा को राजनीति से जोड़ने का प्रयास है।
आगे क्या?
पुलिस ने जांच तेज कर दी है, और इस मामले के तूल पकड़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए सपा की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें पार्टी PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, प्रशासन इसे नियमों का उल्लंघन मानकर कार्रवाई में जुटा है।
लखनऊ में जनता की इस ‘पाठशाला’ का भविष्य अब जांच और अदालती कार्रवाई पर टिका है। यह देखना बाकी है कि यह मामला सपा के लिए राजनीतिक हथियार बनेगा या सरकारी शिकंजे में उलझकर दम तोड़ेगा।