लखनऊ, 2 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। यूपी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय ने सभी जिलों के लिए 16 बिंदुओं वाला एक नया मेमो जारी किया है, जिसमें गिरफ्तारी और तलाशी से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इस नए दिशा-निर्देश के तहत यूपी पुलिस अब केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे सीबीआई और ईडी की तर्ज पर काम करेगी, जिससे पुलिस कार्रवाइयों में पारदर्शिता बढ़ेगी और निर्दोष लोगों को गलत तरीके से फंसने से बचाया जा सकेगा।
हर गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य
डीजीपी कार्यालय के अनुसार, अब हर गिरफ्तारी के लिए एक उपनिरीक्षक (एसआई) या उससे वरिष्ठ रैंक के अधिकारी को नामित करना अनिवार्य होगा। यह अधिकारी गिरफ्तारी से संबंधित सभी विवरणों को दर्ज करने और उसकी प्रक्रिया को नियमानुसार पूरा करने के लिए जिम्मेदार होगा। गिरफ्तारी का समय, स्थान, कारण, आरोपी का बयान, बरामद वस्तुओं का विवरण और मेडिकल परीक्षण की स्थिति सहित 16 बिंदुओं को एक विस्तृत रिकॉर्ड में शामिल करना होगा। इसके साथ ही, गिरफ्तारी के समय दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर भी अनिवार्य किए गए हैं, ताकि प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित हो।
जिला कंट्रोल रूम में प्रदर्शित होगी जानकारी
नए नियमों के तहत, गिरफ्तारी से जुड़ी सभी जानकारी जिला कंट्रोल रूम में प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। यह कदम पुलिस कार्रवाइयों में पारदर्शिता लाने और जनता के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, हर जिले में एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया इन 16 बिंदुओं के अनुरूप हो।
सुप्रीम कोर्ट और एनएचआरसी के दिशा-निर्देशों का पालन
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने समय-समय पर गिरफ्तारी की प्रक्रिया में पारदर्शिता और मानवाधिकारों की रक्षा पर जोर दिया है। डीजीपी मुख्यालय का यह नया मेमो इन्हीं दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से न केवल पुलिस की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि गलत गिरफ्तारियों पर भी अंकुश लगेगा।
पुलिसिंग में सुधार की दिशा में अहम कदम
यूपी पुलिस के इस कदम को पुलिसिंग में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि पुलिस की कार्रवाइयां पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हों। नए नियमों से न केवल जनता का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।”
बरामद वस्तुओं का पूरा विवरण अनिवार्य
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, गिरफ्तारी के दौरान आरोपी के पास से बरामद किसी भी वस्तु का स्पष्ट विवरण दर्ज करना होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि तलाशी की प्रक्रिया में कोई अनियमितता न हो। साथ ही, गिरफ्तार व्यक्ति को उसके अधिकारों, जैसे वकील से मिलने और 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने की जानकारी देना भी अनिवार्य होगा।
पुलिस सुधारों की दिशा में यूपी का नया प्रयास
यह नया मेमो यूपी पुलिस के आधुनिकीकरण और सुधार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। हाल के वर्षों में, यूपी पुलिस ने अपराध नियंत्रण और हाईटेक पुलिसिंग पर विशेष ध्यान दिया है। डीजीपी राजीव कृष्ण के नेतृत्व में पुलिस ने कई नवाचार किए हैं, जिनमें ऑपरेशन पहचान ऐप और ई-मालखानों जैसे कदम शामिल हैं।
इस नए नियम से यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली में और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आने की उम्मीद है। यह कदम न केवल पुलिस की छवि को बेहतर बनाएगा, बल्कि आम जनता के बीच विश्वास को भी मजबूत करेगा।