लखनऊ, 29 जुलाई 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद और मैनपुरी से लोकसभा सदस्य डिंपल यादव पर कथित तौर पर आपत्तिजनक, भड़काऊ और महिला विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यह मामला रविवार (27 जुलाई, 2025) की शाम को विभूति खंड थाने में दर्ज किया गया, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 196 (समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 197 (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 352 (जानबूझकर अपमान), 353 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 67 के तहत कार्रवाई की गई है।
मामले की पृष्ठभूमि
विवाद तब शुरू हुआ जब मौलाना साजिद रशीदी ने एक टेलीविजन डिबेट के दौरान डिंपल यादव के दिल्ली के संसद मार्ग मस्जिद में सपा की बैठक के दौरान उनके पहनावे पर टिप्पणी की। रशीदी ने डिंपल यादव की तुलना सपा की एक अन्य सांसद इकरा हसन से करते हुए उनके साड़ी पहनने और सिर न ढकने को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने कथित तौर पर कहा, “उनका (डिंपल यादव का) पीठ नंगा है,” जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया और इसे महिला विरोधी और साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाला माना गया। इस बयान की समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और जनता के बीच व्यापक निंदा हुई।
शिकायत और पुलिस कार्रवाई
लखनऊ के गोमतीनगर के विकास खंड निवासी और सपा नेता प्रवेश यादव ने शनिवार को इस मामले में शिकायत दर्ज की। अपनी तहरीर में प्रवेश यादव ने आरोप लगाया कि मौलाना रशीदी के बयान न केवल एक महिला की व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले थे, बल्कि धार्मिक और साम्प्रदायिक उन्माद को भड़काने का भी प्रयास करते थे। शिकायत में रशीदी के भाषा और लहजे को “राष्ट्र-विरोधी मानसिकता” वाला बताया गया और इसे देश की धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संस्कृति के लिए खतरा करार दिया गया।
पूर्वी क्षेत्र के उप पुलिस आयुक्त (डीसीपी) शशांक सिंह ने पुष्टि की कि विभूति खंड थाने में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच चल रही है। उन्होंने कहा, “सभी संबंधित वीडियो फुटेज और ऑनलाइन सामग्री की समीक्षा की जा रही है। जांच के निष्कर्षों के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सपा सांसद इकरा हसन ने रशीदी के बयान को “शर्मनाक” करार देते हुए उनकी सामाजिक बहिष्कार की मांग की। उन्होंने कहा, “किसी महिला सांसद के पहनावे पर टिप्पणी करना अनुचित है। ऐसे लोग न तो धार्मिक नेता हैं और न ही किसी धर्म के ठेकेदार।” वहीं, डिंपल यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए एफआईआर का स्वागत किया, लेकिन साथ ही एनडीए सांसदों के संसद परिसर में हुए विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “यह अच्छा है कि कार्रवाई हो रही है, लेकिन यह बेहतर होता अगर मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा पर भी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन किया जाता।”
एनडीए सांसदों ने संसद परिसर में रशीदी के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने “नारी गरिमा पर प्रहार, कभी नहीं करेंगे स्वीकार” जैसे नारे लगाए। बीजेपी ने इसे “महिला विरोधी और भड़काऊ” बयान करार दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने भी रशीदी की टिप्पणी को “पूरी तरह गलत और अपमानजनक” बताया और कहा कि ऐसे बयान मुस्लिम समुदाय को बदनाम करते हैं।
मौलाना रशीदी का पक्ष
मौलाना साजिद रशीदी ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित थी। उन्होंने कहा, “मैंने इस्लामी मान्यताओं को ध्यान में रखकर बोला। डिंपल यादव ने मस्जिद में जिस तरह बैठने का तरीका अपनाया, वह उचित नहीं था। इकरा हसन से उन्हें सीखना चाहिए था।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर डिंपल और अखिलेश यादव माफी मांगते हैं, तो वह भी माफी मांगने को तैयार हैं। हालांकि, उनके इस रुख की भी व्यापक आलोचना हुई है।
विवाद का व्यापक प्रभाव
यह घटना धर्म, लिंग और राजनीति के चौराहे पर भारत के बढ़ते ध्रुवीकरण को दर्शाती है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस बयान ने व्यापक बहस छेड़ दी है। सपा ने रशीदी के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की मांग की है, जबकि विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सामाजिक सौहार्द और महिलाओं के सम्मान के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाता है।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष होगी और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, यह मामला उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नए विवाद का केंद्र बन गया है।