लखनऊ, 15 जुलाई 2025: उत्तर रेलवे के लखनऊ स्थित मुख्यालय में सोमवार, 14 जुलाई को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अचानक छापेमारी की, जिससे कार्यालय में हड़कंप मच गया। यह कार्रवाई गति शक्ति यूनिट में टेंडर प्रक्रिया और कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी शिकायतों के आधार पर की गई। सूत्रों के मुताबिक, CBI ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जब्त किया है और कार्यालय के कंप्यूटरों की हार्ड डिस्क की गहन जांच की जा रही है।
CBI की एक विशेष टीम ने सुबह करीब 9 बजे उत्तर रेलवे मुख्यालय में प्रवेश किया और गति शक्ति यूनिट से संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल शुरू की। इस दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की गई, और कार्यालय में कर्मचारियों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी गई। सूत्रों के अनुसार, इस छापेमारी के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी को हिरासत में लिया गया है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
इसके अतिरिक्त, CBI की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने उसी दिन उत्तर रेलवे के डिवीजनल रेलवे मैनेजर (DRM) कार्यालय, हजरतगंज में भी छापा मारा। इस कार्रवाई में एक महिला रेलवे कर्मचारी, अंजुम निशा, जो उत्तर पूर्व रेलवे की लखनऊ डिवीजन के इंजीनियरिंग सेक्शन में क्लर्क के पद पर तैनात थीं, को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। अंजुम निशा गति शक्ति परियोजना से जुड़ी थीं और एक ठेकेदार से लंबित बिल पास करने के लिए रिश्वत मांग रही थीं। CBI के सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना के तहत छोटे और बड़े रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार की पांच शिकायतें प्राप्त हुई थीं। तीन अन्य व्यक्तियों को भी हिरासत में लिया गया है, और गति शक्ति इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवीजन में व्यापक रिश्वतखोरी नेटवर्क की जांच की जा रही है।
CBI की यह कार्रवाई रेलवे ठेकों में रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बाद की गई है। इससे पहले भी, जुलाई की शुरुआत में, CBI ने उत्तर प्रदेश के चंदौसी में दो रेलवे अधिकारियों को 34,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। रेलवे अधिकारियों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
यह छापेमारी उत्तर रेलवे में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए CBI की व्यापक जांच का हिस्सा मानी जा रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज करेगी।