वाराणसी, 21 नवंबर 2024, गुरुवार। मार्गशीर्ष की षष्ठी तिथि पर गुरुवार को रामेश्वरम में लोटा-भंटा मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर काशीवासियों ने भगवान भोलेनाथ को बाटी-चोखा का भोग लगाया और वरुणा नदी में स्नान किया। मेले में शामिल होने के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे।
लोटा-भंटा मेले का महात्म्य भगवान राम से जुड़ा है, जिन्होंने काशी की पंचक्रोश परिक्रमा की थी। भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के श्राप से मुक्त कराने के लिए लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ यह परिक्रमा की थी। इसके अलावा, रावण वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए मां सीता और लक्ष्मण के साथ प्रदक्षिणा की थी।
इस मेले का विशेष महत्व पुत्र प्राप्ति की कामना से भी जुड़ा है। मान्यता है कि अगहन महीने की षष्ठी तिथि पर रामेश्वर तीर्थ पर स्नान और दर्शन-पूजन के साथ रात्रि प्रवास करने से नि:संतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इस कामना से पूर्वांचल ही नहीं, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड आदि राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग लोटा-भंटा मेले में पहुंचते हैं।
वाराणसी के जंसा, रामेश्वर, पंचशिवाला-हरहुआ के बीच वरुणा नदी के कछार पर लगे इस मेले के दौरान हर तरफ अहरे से उठता धुंआ ही नजर आ रहा था। मेला क्षेत्र की परिधि में तीन किमी पहले से ही जबरदस्त जाम रहा। आदि गंगा कही जाने वाली वरुणा नदी में स्नान के बाद रामेश्वर महादेव सहित विभिन्न देवालयों में दर्शन-पूजन किया गया। इसके बाद लोगों ने बाटी-चोखा का प्रसाद ग्रहण किया और संबंधियों संग मिलकर आनंद मनाया।