जालौन, 31 मई 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश के जालौन में एक ऐसा तमाशा सामने आया है कि सुनकर आपका दिमाग चकरा जाए! एक वायरल वीडियो ने पुलिस महकमे की पोल खोल दी, जिसमें वर्दीधारी सिपाही एक मर्डर की कोशिश के आरोपी के साथ अस्पताल के जेल वार्ड में शराब के जाम छलकाते और जुए का दांव लगाते नजर आए। जी हां, ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि हकीकत है, जहां पुलिस की वर्दी खूंटी पर टंगी रही और सिपाही बदमाश के साथ मौज-मस्ती में डूबे रहे!
कहानी का रंगीन मोड़
बात शुरू होती है 1 सितंबर 2024 से, जब जालौन के कोतवाली थाना क्षेत्र में अजय, पिता प्रेम नारायण सिंदल, ने पारिवारिक रंजिश में अपने चाचा अनिल सिंदल पर जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस ने तुरंत अजय को धर दबोचा और जेल की सैर करा दी। लेकिन ये सज्जन इतने शातिर निकले कि “सीने में दर्द” का बहाना बनाकर बार-बार सरकारी अस्पताल के चरक भवन में जेल वार्ड की शरण लेने लगे। इस बार भी वो चौथी मंजिल के जेल वार्ड में “इलाज” के लिए पहुंचे, जहां उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने ड्यूटी को ताक पर रखकर शराब, सिगरेट और जुए की महफिल जमा ली। किसी शरलॉक होम्स ने इस रंगरेलियां का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद हड़कंप मच गया!
पांच सिपाहियों की छुट्टी
वीडियो की आग जैसे ही फैली, एसपी प्रदीप शर्मा ने तुरंत एक्शन मोड ऑन किया। पुलिस लाइन में तैनात हेड कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन और कांस्टेबल अरविंद मरमट, सुनील बिठौरे, लखन अहिरवार और सुनील परमार को सस्पेंड कर दिया गया। ये पांचों वीडियो में आरोपी अजय के साथ शराब के नशे में चूर और जुए के रंग में रंगे दिख रहे थे। वर्दी? वो तो बेचारी खूंटी पर लटक रही थी, मानो कह रही हो, “मुझे क्या, मैं तो बस यूं ही टंगी हूं!”
फरियादी का सनसनीखेज आरोप
मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब फरियादी शुभम सिंदल ने सनसनीखेज खुलासा किया। उनका कहना है कि अजय कोई गंभीर बीमार नहीं है। वो बार-बार इलाज का ड्रामा रचकर जेल वार्ड में आता है, जहां शराब की पार्टियां रचता है और अपने गुर्गों को भेजकर फरियादी पक्ष पर समझौते का दबाव बनवाता है। वायरल वीडियो ने इस बात को और पुख्ता कर दिया कि जेल वार्ड में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ मौज-मस्ती का खेल चल रहा था।
सात दिन में खुलेगा राज
एसपी प्रदीप शर्मा ने इस पूरे ड्रामे की जांच के लिए एडिशनल एसपी को सात दिन में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, जेल अधीक्षक मनोज साहू और सीएमएचओ को भी इस गड़बड़झाले की तह तक जाने को कहा गया है। एसपी ने साफ कर दिया कि जांच में जो भी दोषी पाया गया, उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। अब देखना ये है कि इस जांच का अंजाम क्या होता है और क्या इस रंगीन कहानी में कोई नया ट्विस्ट सामने आता है!
तो क्या है असली खेल?
ये पूरा मामला सिर्फ शराब और जुए की महफिल का नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों का भी नमूना है। एक तरफ पुलिस की ड्यूटी थी आरोपी को काबू में रखना, दूसरी तरफ वो खुद उसके साथ जाम टकरा रहे थे। अब सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ एक रात की रंगरेलियां थीं, या जेल वार्ड में पहले से ही ये खेल चल रहा था? जवाब तो जांच के बाद ही मिलेगा, लेकिन इस वायरल वीडियो ने यूपी पुलिस की साख पर एक और सवालिया निशान जरूर लगा दिया।