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Thursday, August 7, 2025

दोषी सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, संसद के पास है फैसला लेने का अधिकार

नई दिल्ली, 26 फरवरी 2025, बुधवार। दोषी सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर किया है। केंद्र सरकार का कहना है कि आपराधिक छवि वाले सांसदों पर फैसला लेने का पूरा अधिकार सिर्फ संसद के पास है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि सांसदों की अयोग्यता पर फैसला करने का अधिकार पूरी तरह से संसद के पास है और यह न्यायिक समीक्षा से परे है। केंद्र ने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 8 (1) के तहत दोषी नेताओं को दोषसिद्धि की तारीख से छह वर्षों के लिए या फिर जेल में होने की स्थिति में रिहाई के बाद छह वर्षों तक अयोग्य ठहराया जा सकता है।
केंद्र ने यह भी कहा कि आजीवन कारावास के लिए अभी तक कोई क़ानून नहीं है और यह मामला न्यायालय का नहीं बल्कि संसद के अधिकार क्षेत्र का है। केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 पर इस मामले में भरोसा पूरी तरह से गलत होता दिख रहा है।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 संसद के किसी भी सदन, विधान सभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्यता से संबंधित हैं। केंद्र ने कहा कि अनुच्छेद 102 और 191 के खंड (ई) संसद को अयोग्यता को नियंत्रित करने वाले कानून बनाने की शक्ति प्रदान करते हैं और इसी शक्ति का प्रयोग करते हुए 1951 का अधिनियम बनाया गया था।
इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि दोषी सांसदों को आजीवन प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि देश में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है।

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