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Monday, June 23, 2025

“रिटायरमेंट की दहलीज़ पर थी ज़िंदगी, फिर छिन गई आसमान की उड़ान!” कैप्टन सुमित सभरवाल की कहानी दिल को झकझोर देगी

नई दिल्ली, 14 जून 2025: गुजरात के अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास हुए एक दर्दनाक एयर इंडिया विमान हादसे ने एक अनुभवी पायलट, कैप्टन सुमित सभरवाल की ज़िंदगी को बेरहम छलनी कर दिया। 60 साल के सभरवाल, जिन्होंने आसमान में 30 साल तक अपनी कुशलता का परचम लहराया और 8,200 से ज़्यादा घंटों की उड़ान भरी, उस दिन अनायास ही दुनिया को अलविदा कह गए। मुंबई के पवई में जलवायु विहार के निवासी, सभरवाल की ज़िंदगी सिर्फ़ उड़ानों तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनके दिल में परिवार के लिए गहरा प्यार और ज़िम्मेदारी का जज़्बा भी था।

पिता के साथ वक्त बिताने का अधूरा सपना

बताया जाता है कि सभरवाल अक्सर अपने 88 साल के बुज़ुर्ग पिता का ज़िक्र करते थे। नौकरी की व्यस्तता के चलते वह उनके साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाते थे, और उनकी देखभाल का दुख उन्हें सालता था। रिटायरमेंट के बाद वह अपने पिता, जो कभी नागरिक उड्डयन नियामक निकाय के अधिकारी थे, के साथ खोया हुआ वक्त वापस पाने की योजना बना रहे थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।

वरिष्ठता और समर्पण का प्रतीक

कैप्टन सभरवाल उस उड़ान के सबसे अनुभवी क्रू मेंबर थे। वह लाइन ट्रेनिंग कैप्टन के तौर पर भी काम करते थे—एक ऐसी ज़िम्मेदारी, जो सिर्फ़ सबसे काबिल और अनुभवी पायलटों को सौंपी जाती है। इस भूमिका में वह युवा पायलटों को न सिर्फ़ प्रशिक्षण देते, बल्कि उन्हें आसमान की चुनौतियों के लिए तैयार भी करते। उनकी निपुणता और ज़ज़्बे ने उन्हें सहकर्मियों और प्रशिक्षुओं के बीच सम्मान का पात्र बनाया था।

रिटायरमेंट से ठीक पहले टूटा सपना

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सभरवाल की रिटायरमेंट में बस कुछ महीने ही बाकी थे। वह अपने परिवार, खासकर पिता के साथ ज़िंदगी के नए अध्याय की शुरुआत करने को बेताब थे। लेकिन यह हादसा उनके परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के लिए एक ज़बरदस्त सदमा बनकर आया। उनके पड़ोसी बताते हैं, “वह बेहद शांत, संकोची और अनुशासित इंसान थे। हम उन्हें अक्सर वर्दी में देखते, और उनकी मुस्कान में एक अलग ही आत्मविश्वास झलकता था।”

सह-पायलट की भी थी बेमिसाल काबिलियत

विमान के सह-पायलट, फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर भी किसी से कम नहीं थे। 1,100 घंटों की उड़ान का अनुभव और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ाने का सर्टिफिकेट उनके हुनर का सबूत था। उनकी मेहनत और प्रशिक्षण ने उन्हें इस अहम उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार किया था, मगर यह हादसा उनकी सारी तैयारियों पर भारी पड़ गया।

आसमान के सितारों का असमय बिछड़ना

कैप्टन सभरवाल और सह-पायलट कुंदर जैसे नायकों का जाना न सिर्फ़ विमानन उद्योग, बल्कि उनके चाहने वालों के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई असंभव है। यह हादसा हमें उन अनगिनत शूरवीरों की याद दिलाता है, जो हर दिन आसमान में हमारी हिफाज़त के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। उनकी कहानी न सिर्फ़ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि ज़िंदगी के हर पल को अपनों के साथ जीना कितना ज़रूरी है।

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