होशियारपुर, 7 सितंबर 2025: पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गांव की बेटी लेफ्टिनेंट पारुल धडवाल ने भारतीय सेना में अपनी नियुक्ति के साथ एक नया इतिहास रच दिया है। वह अपने परिवार की पांच पीढ़ियों से चली आ रही गौरवशाली सैन्य परंपरा में पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) से कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, पारुल को 6 सितंबर 2025 को भारतीय सेना की आयुध कोर में कमीशन प्राप्त हुआ।
पारुल ने प्रशिक्षण के दौरान असाधारण प्रदर्शन करते हुए ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान हासिल किया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें राष्ट्रपति का गोल्ड मेडल प्रदान किया गया, जो उनके अनुशासन, समर्पण और नेतृत्व कौशल का प्रतीक है।
परिवार की सैन्य विरासत
धडवाल परिवार की सैन्य सेवा की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। इसकी शुरुआत पारुल के परदादा सूबेदार हरनाम सिंह से हुई, जिन्होंने 1896 से 1924 तक 74 पंजाबियों में सेवा दी। दूसरी पीढ़ी में मेजर एल.एस. धडवाल (3 जाट रेजिमेंट), तीसरी पीढ़ी में कर्नल दलजीत सिंह धडवाल (7 जम्मू और कश्मीर राइफल्स) और ब्रिगेडियर जगत जामवाल (3 कुमाऊं रेजिमेंट) ने देश सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पारुल के पिता मेजर जनरल के.एस. धडवाल, एसएम, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित, और उनके भाई कैप्टन धनंजय धडवाल, दोनों 20 सिख रेजिमेंट में सेवारत रहे।
गांव की मिट्टी में बसी सैन्य परंपरा
जनौरी गांव, जहां सैन्य परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, आज पारुल की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है। एक ही परिवार से पांच पीढ़ियों का सेना में योगदान और दो पीढ़ियों से तीन सेवारत अधिकारियों की मिसाल राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को दर्शाती है।
लेफ्टिनेंट पारुल धडवाल की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। उनकी कहानी युवाओं, खासकर महिलाओं, को सेना में शामिल होने और देश सेवा के लिए प्रेरित करेगी।