वाराणसी, 28 मई 2025, बुधवार। पांच दिन पहले चिरईगांव के गौराकला लखरांव में हलचल मचाने वाला तेंदुआ अब गंगा की विशाल लहरों को चीरकर पार निकल गया है! खबर है कि यह जंगल का शहंशाह चंदौली के चंद्रप्रभा सेंक्चुरी की शरण में जा पहुंचा है। बारिश की बूंदें अगर आसमान से बरस पड़ीं, तो इस रहस्यमयी मेहमान के लौटने की उम्मीद धुंधली पड़ जाएगी। फिर भी, सतर्कता बरतते हुए चंदौली के जंगल विशेषज्ञों को चिरईगांव बुलाया गया है।
रेस्क्यू मिशन: जाल, पिंजरे और हाई-टेक निगरानी
वन विभाग ने इस मायावी तेंदुए को पकड़ने के लिए कमर कस ली है। एक ट्रैंकुलाइज गन तैयार है, दो पिंजरे जाल बिछाए गए हैं, और रेस्क्यू टीम को हर तरह के सुरक्षा कवच से लैस किया गया है। गांव से दो किलोमीटर दूर एक तालाब के किनारे तेंदुए के ताजा पगमार्क मिले हैं, जो इस जंगली मेहमान की मौजूदगी का पक्का सबूत हैं। इन निशानों के आधार पर वन विभाग ने नदी किनारे के गांवों में गश्त तेज कर दी है। 12 से ज्यादा ट्रैप कैमरे जंगल के कोनों में नजर रख रहे हैं, और ड्रोन कैमरे आसमान से हर हलचल पर पैनी नजर जमाए हुए हैं।
23 मई की वह खौफनाक रात
बीते 23 मई को लखरांव में इस तेंदुए ने दहशत फैलाई थी, जब इसके हमले में तीन लोग घायल हो गए। गौराकला के लोग अब भी डर के साये में जी रहे हैं। उनका मानना है कि तेंदुआ यहीं कहीं छिपा हुआ है। गौराकला के पूर्व ग्राम प्रधान भुल्लन यादव ने गुस्से में कहा, “वन विभाग हमें भटका रहा है। तेंदुए को फौरन पकड़ा जाए, नहीं तो खतरा और बढ़ेगा!”
बाग में छिपा, फिर फुर्र!
दो दिन पहले एक बाग में तेंदुए के छिपे होने की खबर ने हड़कंप मचा दिया था। रिहायशी इलाके के पास तीन तरफ से जाल बिछाकर और पिंजरे लगाकर उसे घेरने की कोशिश की गई, लेकिन यह चालाक जीव 200 मीटर दूर दूसरे बाग में जा छिपा। वहां भी जाल बिछाया गया, मगर तेंदुआ हवा की तरह गायब हो गया।
तैराकी का उस्ताद है यह तेंदुआ
वन संरक्षक डा. रवि कुमार सिंह ने बताया कि मंगलवार को राजा तालाब समेत कई जगहों पर कुत्ते का मुंह और बकरी का शव मिलने की खबरें आईं। लेकिन उन्होंने लोगों से घबराने की बजाय सावधानी बरतने की सलाह दी। उनका कहना है, “ऐसे हमले भेड़िए भी कर सकते हैं। तेंदुआ शायद अब काशी रेंज में नहीं है। यह पानी का माहिर तैराक है और गंगा पार कर अपने प्रवास क्षेत्र की ओर लौट गया हो सकता है।”
क्या है अगला कदम?
तेंदुआ अब गंगा के उस पार है या अभी भी गांव के आसपास छिपा है, यह रहस्य अभी बरकरार है। लेकिन वन विभाग की हाई-टेक निगरानी और रेस्क्यू टीमें पूरी मुस्तैदी से इस जंगली शहंशाह का पीछा कर रही हैं। गांववाले सांस थामे इंतजार कर रहे हैं कि कब यह दहशत का साया हटेगा और उनके गांव में अमन-चैन लौटेगा!