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Thursday, February 6, 2025

2024 के आखिरी मिशन: इसरो का “स्पेडेक्स मिशन” 30 दिसंबर को होगा लांच।

दुनिया में सिर्फ तीन देश- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही अपने दो स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में डॉक करने की क्षमता है। अब 2024 के आखिरी मिशन के जरिए भारत जल्द ही इस क्षमता को हासिल करने वालों में चौथा देश बनने वाला है। इसरो के स्पेडेक्स (SpaDex) नाम के इस मिशन की लॉन्चिंग 30 दिसंबर को होनी है। स्पेडेक्स का पूरा अर्थ है- स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट।
क्या होती है अंतरिक्ष में डॉकिंग?
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी60 के जरिये इसे प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो के मुताबिक स्पैडेक्स मिशन, पीएसएलवी से प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है। यह भारतीय को चांद पर उतारने, चांद से सैंपल भारत लाने, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण व संचालन जैसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है। 
अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब बहुत जरूरी होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की जरूरत होती है। इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक लगभग 220 किग्रा) शामिल हैं, जिन्हें पीएसएलवी-सी60 के जरिये स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।
अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन के लिए मिशन
इस मिशन के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक रखने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर है। 9 दिसंबर को पीएसएलवी-सी59/प्रोबास-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद, इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव, एस सोमनाथ ने कहा कि दिसंबर में ही पीएसएलवी-सी60 के प्रक्षेपण के साथ एक समान मिशन आने वाला है। सोमनाथ ने कहा, ‘यह (पीएसएलवी-सी60 मिशन) स्पैडेक्स नामक अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन करने जा रहा है। रॉकेट अब तैयार है और हम प्रक्षेपण की ओर ले जाने वाली गतिविधियों के अंतिम चरण के लिए तैयार हो रहे हैं, संभवतः दिसंबर में ही।’
गोलाकार कक्षा में लॉन्च किया जाएगा मिशन
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन को दो छोटे अंतरिक्ष यानों (एसडीएक्स01, जो कि चेजर है और एसडीएक्स02, जिसका नाम टारगेट है) के पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा में तेज गति में मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग को प्रदर्शित किया जाएगा। पीएसएलवी कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल (पीओईएम) अंतरिक्ष में विभिन्न प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए 24 प्रयोग करेगा। इनमें 14 प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की विभिन्न प्रयोगशालाओं से और प्रयोग 10 निजी विश्वविद्यालयों तथा ‘स्टार्ट-अप’ से संबंधित हैं।

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