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Monday, July 7, 2025

बड़ी संख्या में किसानों ने जंतर मंतर पर महापंचायत की

दिल्ली की सीमाओं से वापस लौटने के करीब आठ महीने बाद किसानों ने सोमवार एक बार फिर दिल्ली में हुंकार भरी। बड़ी संख्या में किसानों ने जंतर मंतर पर महापंचायत की। संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के बैनर तले जुटे किसानों ने केंद्र सरकार पर वादा-खिलाफ का आरोप लगाया। साथ ही मांग भी की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, विश्व व्यापार संगठन की बंदिशों को न मानने, सेना के लिए लागू अग्निपथ योजना वापसी समेत नौ सूत्रीय मांगें भी किसानों ने पेश कीं। दिन भर चले प्रर्दशन के बाद किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद एकदिवसीय आंदोनल खत्म हुआ। किसान संगठन अपनी मांगों पर सरकार की प्रतिक्रिया का 15 दिन इंतजार करेंगे। इसके बाद आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे। इससे पहले मंगलवार को किसान संगठनों की दिल्ली में अहम बैठक होगी। इसमें संगठन को मजूबत करने पर चर्चा होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) का दावा है कि जंतर मंतर पर उनके मोर्चे में शामिल करीब 75 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व रहा। इसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल सहित दूसरे प्रदेशों के किसान शामिल हुए। मोर्चा संयोजक एवं किसान नेता शिवकुमार शर्मा (कक्का जी) ने बताया कि कि एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन में सरकार ने तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए, लेकिन शेष मांगे नहीं लागू की जा सकीं। साथ ही आरोप लगाया कि करीब एक साल तक चला पिछला किसान आंदोलन कुछ नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका। इसी वजह से आंदोलन को पिछले साल दिसंबर में स्थगित करना पड़ा था। उस वक्त अगर आंदोलन 10 दिन और जारी रहता तो किसानों को दोबारा दिल्ली लौटने की जरूरत नहीं पड़ती।

कक्का के मुताबिक, एसकेएम अराजनैतिक में राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को नहीं जोड़ा गया है। कक्काजी ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को तो वापस ले लिया, लेकिन शेष मांगे पूरी नहीं हुईं। एमएसपी कमेटी से उम्मीदें तो हैं, लेकिन पहले ही मंत्री कह चुके हैं कि लाभकारी मूल्य मिलेगा मगर गारंटी नहीं होगी।

एसकेएम (अराजनैतिक) के जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों से जो वादे किए, उन्हें पूरा नहीं किए जाने पर महापंचायत किया गया। किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों की वापसी, एमसीपी की गारंटी, शहीदों को भरपाई, कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए देश भर के किसानों की कर्ज माफी सहित नौ सूत्रीय मांगों से संबंधित राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन संबंधित जिलाधिकारी को सौंप दिया गया है।

किसान पंचायत की मांगें

. लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ, जेलों में बंद किसानों की रिहाई और राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी

. स्वामीनाथन आयोग के सी2+50 फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी  की गारंटी के लिए कानून

. देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त किया जाए।

. बिजली बिल 2022 रद्द करने

. गन्ने का समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के साथ बकाया राशि का तत्काल भुगतान

. विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ)से बाहर निकलकर सभी मुक्त व्यापार समझौते किए जाएं रद्द

. किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमों की वापसी

. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के बकाया मुआवजे का तत्काल भुगतान

. अग्निपथ योजना की वापसी

महापंचायत में शामिल किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर आने वाले समय में उनकी मांगों पर सरकार गंभीर नहीं हुई तो एक बार फिर देश भर का किसान पहले की तरफ दिल्ली कूच करेगा। सांकेतिक लहजे में अधिकतर संगठनों ने इसपर हामी भरते हुए कहा कि मंगलवार को होने वाली बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। पड़ोसी राज्यों से दिल्ली पहुंच रहे किसानों को सीमाओं पर रोकने की भी किसान संगठनों ने निंदा की है। इसमें किसान नेता हरपाल बिल्लारी, अभिमन्यु कोहाड़ सहित हजारों किसानों को अलग अलग जगहों पर रोका गया।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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