अयोध्या, 9 अगस्त 2025: राम की नगरी अयोध्या में पवित्र मिट्टी अब भू-माफियाओं के कब्जे में है। विकास प्राधिकरण की मिलीभगत और अफसरों की जेब गर्म करने की साठगांठ के बीच खेत, तालाब, नाले और सरकारी जमीनें माफिया के हवाले हो रही हैं। रात को खेत, सुबह प्लॉट—यह है अयोध्या का नया भूगोल। अवैध प्लॉटिंग का धंधा अब अपराध नहीं, बल्कि खुला बाजार बन चुका है, जहां नियम-कानून कागजों तक सिमटे हैं और जमीन के टुकड़े सत्ता और रसूख वालों की जेब में।
गलियों में बोर्ड तो चमकते हैं—“प्लॉट बिकाऊ है”—लेकिन इनमें ठगी की गारंटी का जिक्र नहीं। खरीदार घर और सपनों के लालच में फंसते हैं, मगर हकीकत में सड़कें सिर्फ नक्शों में, नालियां वादों में, और बिजली-पानी भरोसे में मिलते हैं। बरसात आते ही इन कॉलोनियों का सच सामने आता है—घुटनों तक पानी, कीचड़ से सनी गलियां और प्रशासन का मौन। इसका कारण? सरकारी कुर्सियों पर बैठे वे लोग, जो माफियाओं के साथ चाय की चुस्की और मोटा कमीशन बांटते हैं।
खुलासा और हकीकत
सूत्रों के मुताबिक, अयोध्या में अवैध कॉलोनियों की संख्या सैकड़ों में है। कई कॉलोनियां सरकारी जमीनों पर बसी हैं, जिनके कागजात तक फर्जी। विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की कथित संलिप्तता ने इस धंधे को और हवा दी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि माफिया खुले तौर पर बड़े नेताओं और अधिकारियों का नाम लेकर जमीनें बेचते हैं। खरीदारों को सस्ती जमीन का लालच देकर ठगा जाता है, और शिकायत करने पर न तो प्रशासन सुनता है, न ही पुलिस।
वैधानिक उपाय की मांग
- हर अवैध प्लॉट पर “रजिस्ट्री वर्जित” की लाल मुहर।
- डिजिटल पोर्टल पर अयोध्या की सभी वैध-अवैध कॉलोनियों का नक्शा और ब्योरा।
- भू-माफियाओं और उनके सरकारी संरक्षकों पर IPC की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई।
- जन जागरूकता अभियान: “सस्ती जमीन, महंगा पछतावा”।
सवालों के घेरे में प्रशासन
अयोध्या, जहां राम मंदिर की चमक पूरी दुनिया देख रही है, वहां जमीन की लूट का यह काला कारोबार बदनुमा दाग बन चुका है। सवाल यह है कि सरकार कब इन भू-माफियाओं के पर कतरेगी? क्या विकास प्राधिकरण की फाइलों में “राम राज्य” सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा, या फिर पवित्र नगरी की मिट्टी को गिद्धों से मुक्त कराया जाएगा?